रायपुर September 29, 2009
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के किसान खरीफ की खराब हो गयी फसल को जल्द से जल्द नष्ट कर देना चाहते हैं।
इस जिले के पदकेडिह गांव के कई किसानों ने अपने खेतों में मवेशियों को खुला छोड़ दिया है, ताकि उनके खेत रबी की फसल के लिए तैयार हो जाए। मानसून की बेरूखी के कारण इस इलाके की खरीफ फसल बर्बाद हो चुकी है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी से 100 किलोमीटर की दूरी पर बसे इस गांव के 16 किसानों ने खरीफ के दौरान अपने 50 एकड़ खेत में धान एवं सोयाबीन की बुआई की थी। लेकिन दुर्भाग्य से सामान्य के मुकाबले 40 फीसदी तक बारिश की कमी ने लगभग पूरी फसल को बर्बाद कर दिया। बड़ी बात यह है कि ऐसा सिर्फ इसी गांव में नहीं हो रहा है।
राज्य के अन्य इलाकों में भी सूखे से प्रभावित किसानों के पास अपने खेत को मवेशियों के हवाले करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। एग्रीकॉन नामक एक गैर सरकारी संगठन के अध्यक्ष एवं कृषि वैज्ञानिक डॉ. शंकर ठाकुर कहते हैं, किसानों की खरीफ फसल बर्बाद हो चुकी है। वे काफी घबराए हुए हैं। ऐसे में वे जल्द से जल्द अपने खेत को खाली कर उसे रबी के लिए तैयार करना चाहते हैं।
इस दौरान खेत खाली होने से रबी के लिए जरूरी नमी पर्याप्त मात्रा में मिल जाएगी। ठाकुर कहते हैं कि प्रांत के कई इलाकों में किसानों ने रबी के लिए खेतों की जुताई का काम भी शुरू कर दिया है। किसान अब सितंबर की बारिश का इंतजार कर रहे हैं। अगले कुछ दिनों में इस बारिश की उम्मीद जतायी जा रही है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक सितंबर की बारिश पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।
इस बारिश से खरीफ की फसल को कायम रखने में मदद मिलेगी। साथ ही रबी की फसल के लिए लाभदायक साबित होगी। कृषि निदेशालय के निदेशक आरके चंद्रास्वामी कहते हैं, लेकिन मानसून की असफलता के बाद हम रबी की फसले के लिए बहुत आशान्वित नहीं है। क्योंकि मिट्टी में नमी की कमी हो गयी है।
राज्य सरकार ने वर्ष 2009-09 के दौरान रबी फसल की योजान में बदलाव किया था और रबी का रकबा 18 लाख हेक्टेयर से घटकर 17 लाख हेक्टेयर हो गया था। इस दौरान प्रति हेक्टेयर 868 किलोग्राम की उत्पादकता रही। इस दौरान 290000 में चने की खेती की गयी तो 160000 हेक्टेयर में गेहूं की।
चंद्रास्वामी के मुताबिक इस साल छत्तीसगढ़ में सामान्य के मुकाबले 22 फीसदी कम बारिश हुई। इस असर निश्चित रूप से रबी की फसल पर पड़ेगा इसलिए इस दौरान किसानों को धान की बुआई नहीं करने की सलाह दी गयी है क्योंकि धान की खेती के लिए पानी की जरूरत होती है।
चंद्रास्वामी कहते हैं कि अगर सितंबर माह के दौरान भी बारिश नहीं होती है तो खरीफ के लिए धान के उत्पादन में तय लक्ष्य से कमी आएगी। डा. ठाकुर कहते हैं कि इस साल रबी का रकबा 12-13 लाख हेक्टेयर तक सिमट सकता है।
किसानों को रबी की फसल के लिए नहर से पानी की आवश्यकता होगी। लेकिन अधिकतर जलाशयों में पानी की कमी है इसलिए किसान अधिक क्षेत्र में रबी के दौरान बुआई करने का जोखिम नहीं लेंगे। (बीएस हिन्दी)
29 सितंबर 2009
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