चंडीगढ़ September 28, 2009
इस साल खरीफ की फसल की बुआई के दौरान उम्मीद से बहुत कम बारिश हुई। बाद में बारिश हुई भी तो किसानों ने कहा- का वर्षा जब कृषि सुखाने। अब किसानों के साथ सरकार ने भी रबी की फसलों के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।
उम्मीद की जा रही है कि इस साल रबी की फसल कुछ हद तक खरीफ के नुकसान की भरपाई कर देगी। खरीफ के नुकसान और रबी की फसलों से बढ़ी उम्मीदों का एक जायजा ...
तपते आसमान और मॉनसून में देरी की वजह से हरियाणा के कृषि विभाग की योजनाएं प्रभावित हुई हैं। राज्य द्वारा खरीफ मौसम में तय किए गए कृषि उत्पादन के लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल लगता है।
धान की रोपाई का लक्ष्य सरकार ने 1150000 हेक्टेयर तय किया था, लेकिन बारिश की कमी की वजह से कुल रोपाई 10,90000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में ही हो सकी है। यह 2008 में राज्य में धान की रोपाई के कुल क्षेत्रफल 1,21,0000 हेक्टेयर से बहुत कम है।
केंद्रीय पूल में हरियाणा के धान की कुल हिस्सेदारी 17-22 टन है। इसी तरह से खरीफ की फसलों गन्ने, कपास और ग्वार की बुआई के क्षेत्रफल में भी कमी आई है और लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सका है। इस साल गन्ने की बुआई 75,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है, जबकि पिछले साल 2008 में बुआई 90,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई थी।
कपास की बुआई का लक्ष्य 6,00,000 हेक्टेयर रखा गया था, जबकि बुआई 5,27,000 हेक्टेयर में ही हुई है। इसी तरह से ग्वार की बुआई के क्षेत्रफल में कमी आई है। राज्य के कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रबी की फसलों की बुआई पहले शुरू होने की संभावना है। मौसम अनुकूल होने पर इसके उत्पादन में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो सकती है। (बीएस हिन्दी)
29 सितंबर 2009
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