मुंबई September 22, 2009
सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से इन गहनों की खरीदारी करना अब आम आदमी के लिए सपना जैसा होता जा रहा है। लेकिन भारतीय महिलाओं का ज्वैलरी प्रेम कम नहीं हो रहा है।
अपने शौक को पूरा करने के लिए महिलाएं अब कृत्रिम गहनों का सहारा ले रही हैं। यही वजह है कि कभी अपनी पहचान के लिए तरसते कृत्रिम गहनों का बाजार अब असली ज्वैलरी केकारोबार को टक्कर दे रहा है। यही वजह है कि इन गहनों के अलग से बड़े-बड़े शोरूम खुल रहे हैं।
एक साल पहले सोना प्रति 10 ग्राम करीबन 12 हजार पर था जबकि इस समय 16 हजार के आसपास चल रहा है यानी एक साल के अंदर सोने की कीमतों में प्रति 10 ग्राम चार हजार रुपये की बढ़ोतरी हो गई।
सोने की वर्तमान स्तर पर खरीदारी करना आम आदमी के बस की बात नहीं रह गई है। इसलिए लोग अपना शौक पूरा करने के लिए कृत्रिम गहनों का सहारा ले रहे हैं। लोगों के इस रुख को भांपते हुए कारोबारी भी इन गहनों को विश्वसनीय बनाने में जुट गए हैं।
एक ओर इन गहनों के अलग से शोरुम खुल रहे हैं तो दूसरी तरफ इनकी रिटर्न वैल्यू भी तय की जा रही है। मुंबई में कृत्रिम गहनों का अपना चौथा शोरुम खोलने वाले सुवर्णस्पर्श जेम्स ऐंड ज्वैलरी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजू पाटिल कहते हैं कि महंगाई के इस दौर में मध्यम आय वर्गीय लोगों के लिए सोने के गहने पहन पाना आसान नहीं रह गया है।
उनके लिए ये कृत्रिम गहने वरदान साबित हो रहे हैं। कृत्रिम गहनों का कारोबार 50-60 फीसदी की दर से सालाना फैल रहा है। आम लोगों के साथ ही इन गहनों का चलन फिल्मों और सीरियलों में भी बढ़ा है। प्रसिध्द मराठी फिल्म अभिनेत्री दीपाली सैय्यद कहती है कि कम बजट की फिल्मों और सीरियलों के लिए तो ये गहने वरदान साबित हो रहे हैं।
इन गहनों की बेहतरीन कारीगरी के वजह से इनके आगे असली सोने के गहने भी फीके लगते हैं। इसके अलावा कीमत इतनी कम है कि खो जाने या फिर टूट जाने पर कोई गम नहीं होता है। कृत्रिम गहनों को वन ग्राम गोल्ड के गहने के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इनकी कीमत लगभग एक ग्राम सोने के बराबर ही रहती है।
इन गहनों में ऊपर से सोने का पानी होता है जबकि अंदर तांबा और पीतल का इस्तेमाल किया जाता है। शोरुम मालिकों ने इनको दोबारा खरीदने की भी व्यवस्था कर दी है। सुवर्ण स्पर्श के राजू पाटिल कहते हैं कि जितने दिन लोगों को पहनना होता है वह पहने और बाद में इन गहनों को हमारे किसी भी शोरूम में बेच भी सकते हैं।
जिस कीमत में उन्होने खरीदा होगा उसका 30 से लेकर 50 फीसदी तक रिटर्न उनको दिया जाता है। कृत्रिम गहनों का कारोबार इस समय आभूषण कारोबार के लिए रीढ़ की हड्डी का काम कर रहा है। इस कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि इस समय देश में जितना सोना आयात किया जाता है उसकी 40 फीसदी खपत इन्हीं आभूषणों में हो रही है।
हर वर्ग के लोगों के बीच इनकी मांग बढ़ने की वजह से सोने चांदी के आभूषणों के गढ़ जावेरी बाजार जैसे इलाके में भी लगभग सभी शोरुमों में कृत्रिम गहनों के अलग से काउंटर भी खोल दिये गए हैं। (बीएस हिन्दी)
23 सितंबर 2009
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