नई दिल्ली : मानसून में आए थोड़े बहुत सुधार के बाद भी 2009-10 के शुगर सीजन में भारत को कम से कम 40 लाख टन चीनी आयात करने की जरूरत होगी। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (आईएसएमए) के प्रेसिडेंट समीर सोमैया ने इंडियन शुगर के अगस्त इश्यू में यह बात कही है। और अधिक आयात करने की जरूरत के बारे में सोमैया ने यह बात सरकार और किंग्समैन ब्रोकरेज के हेड जोनांथन किंग्समैन की इस समीक्षा के बाद कही है कि जरूरी चीनी आयात के एक बहुत बड़े हिस्से का आयात किया जा चुका है। घरेलू उद्योग का अनुमान है कि 2009-10 में चीनी उत्पादन 1।4-1.6 करोड़ टन के बीच रहेगा। अगस्त के अंत में सोमैया ने कहा था कि हालांकि मानसून में थोड़ा सुधार आने से भारत में गन्ने की फसल पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा, लेकिन अक्टूबर से शुरू हो रहे नए सीजन में भारत को आयात करने की जरूरत करनी पड़ेगी।
हाल में खाद्य और कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा था कि अगस्त में बेहतर बरसात होने से गन्ने की फसल को लाभ तो होगा, लेकिन सितंबर के आखिरी दिनों तक बरसात जारी रहने से स्थिति और बिगड़ सकती है क्योंकि इस समय नए पेराई सीजन की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। भारत में आमतौर पर नए पेराई सीजन की शुरुआत अक्टूबर के शुरू से होती है। एक शुगर मिल के एक अधिकारी ने कहा, 'इस बात की संभावना है कि किंग्समैन ने अपने अनुमान में भारत के 2009-10 में चीनी के उत्पादन को अधिक बनाए रखा है ताकि वैश्विक स्तर पर चीनी की कीमतें लचीली बनी रहें।' किंग्समैन भी कह चुके हैं कि इस बारे में स्पष्ट समीक्षा फरवरी के बाद ही की जाएगी। फरवरी तक शुगर सीजन के पांच महीने बीत चुके होंगे। आने वाले सीजन के लिए दुनियाभर में चीनी के सबसे बड़े उपभोक्ता देश के चीनी के उत्पादन और आयात के अनुमान को लेकर संशय बरकरार है। इससे वैश्विक बाजार में तो चीनी की कीमतें तरल बनी हुई हैं, लेकिन घरेलू बाजार में कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। यह इन बातों के बावजूद है कि निजी क्षेत्र द्वारा आयात के लिए कॉन्ट्रैक्ट की गई 80-90 लाख टन चीनी भारतीय बंदरगाहों पर आ रही है। इस सीजन में चीनी उत्पादन में भारी कमी आई है। इस कारण पिछले साल के मुकाबले चीनी की कीमतों में 41 फीसदी की उछाल आ चुकी है जबकि चीनी की कीमतों को रोकने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है और शून्य शुल्क पर कच्ची और रिफाइंड शुगर आयात करने की अनुमति दी जा चुकी है। आयात के साथ सरकार ने बाजार में बिक्री के लिए चीनी जारी की है, इससे इस सप्ताह थोक कीमतों पर थोड़ा असर पड़ा, लेकिन खुदरा कीमतों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। चीनी की कीमतों में तेजी रोकने के लिए सरकार ने नए कदम उठाए है। सरकार ने भंडारण सीमा और दूसरी बातों की समयसीमा को बढ़ाकर सितंबर 2010 तक कर दिया है। सरकार इस कदम के जरिए जमाखोरी को भी रोकना चाहती है। (इत हिन्दी)
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