लखनऊ September 21, 2009
उत्तर प्रदेश के राइस मिल मालिक पिछले साल का 3 लाख टन चावल रखे हुए हैं, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत दिया जाना है।
इसकी डिलिवरी अब तक फूड भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और राज्य सरकार को पीडीएस के तहत वितरित करने के लिए नहीं हो सकी है। उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन के सचिव पीसी कनोडिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'पहले एफसीआई और राज्य सरकार 30 जून को डिलिवरी लेने वाले ते, बाद में इसे बढ़ाकर 30 सितंबर कर दिया गया। लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है।'
उन्होंने एफसीआई और उत्तर प्रदेश खाद्य विभाग पर हीला हवाली करने का आरोप लगाया है। उत्तर प्रदेश सरकार को 1.27 लाख टन चावल लेना है, इसके अलावा शेष एफसीआई को लेना है। बहरहाल एफसीआई इंतजार कर रहा है कि पहले राज्य सरकार खरीद शुरू करे।
कनोडिया ने कहा कि इस सिलसिले में हमने राज्य सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला है। मिल मालिक चाहते हैं कि या तो उनसे चावल खरीद लिया जाए, या उसे बाजार में बेचने की अनुमति दी जाए।
कनोडिया ने कहा कि मिल संचालकों के लिए धान की खरीद के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं है, न ही इसके लिए कोई नियम बनाया गया है। इस सिलसिले में भी राज्य सरकारों का रवैया बहुत असहयोग भरा है।
मिल मालिकों का कहना है कि राज्य की मंडियों में पंजाब की तरह से ही व्यवस्था होनी चाहिए, जहां से मिल मालिक उचित दाम पर अच्छे किस्म के चावल की खरीद कर सकें। (बीएस हिन्दी)
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