22 सितंबर 2009
नमी कम होने पर खरीद शुरू करेंगी सरकारी एजेंसियां
उत्तर भारत, गुजरात और महाराष्ट्र में कपास की नई सप्लाई शुरू हो गई है। लेकिन इसकी सरकारी खरीद शुरू नहीं हो पाई है। हालांकि खुले बाजार में नई कपास में ज्यादा नमी (15 से 20 फीसदी) होने के कारण भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहे हैं। चालू खरीफ सीजन में कपास पैदावार में बढ़ोतरी की उम्मीद से सरकारी खरीद में इजाफा होने की संभावना है। अक्टूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में आवक बढ़ने और नमी कम होने पर सरकारी एजेंसियां खरीद शुरू कर देंगी। एजेंसियां अधिकतम 8 फीसदी नमी की कपास खरीदती हैं। कॉटन कारपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के अनुसार जैसे ही सूखे माल की आवक शुरू होगी और भाव एमएसपी से नीचे जाएंगे, खरीद शुरू कर दी जाएगी। नेफेड भी नवंबर के प्रथम सप्ताह में एमएसपी पर खरीद शुरू करेगी।सीसीआई के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर सुभाष ग्रोवर ने बिजनेस भास्कर को बताया कि नई कपास में नमी की मात्रा 15-20 प्रतिशत आ रही है। सीसीआई आठ फीसदी नमी युक्त कपास खरीदती है। सीसीआई ने पूरे भारत में करीब 300 खरीद केंद्र खोलने की योजना बनाई है तथा जैसे ही तय मानकों के अनुरूप आवक शुरू होगी, सीसीआई खरीद शुरू कर देगी। उत्तर भारत के हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में तेज धूप निकल रही है इसलिए उम्मीद है कि अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक सूखे माल की आवक शुरू हो जाएगी। पिछले साल सीसीआई ने 89।4 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की खरीद की थी। मौजूदा भाव ग्रोवर ने कहा कि अभी खुले बाजार में कपास के भाव भले ही एमएसपी से नीचे दिखाई दे रहे हों लेकिन नमी को डिस्काउंट करके हिसाब लगाया जाए तो मौजूदा भाव एमएसपी से ऊपर हैं। चालू खरीफ सीजन में कपास की बुवाई बढ़ी है, साथ ही मौसम भी अनुकूल रहा है। कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) के मुताबिक वर्ष 2009-10 में देश में कॉटन का उत्पादन बढ़कर 305 लाख गांठ होने की संभावना है जबकि पिछले साल 290 लाख गांठ का हुआ था। नेफेड के अतिरिक्त मैनेजिंग डायरेक्टर कैलाश जानी ने बताया कि नवंबर के प्रथम सप्ताह में सरकारी खरीद शुरू होने की उम्मीद है। नाफेड महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से खरीद करती है। उन्होंने बताया कि पिछले साल नाफेड ने 38 लाख गांठ की खरीद की थी लेकिन चालू सीजन में पैदावार में बढ़ोतरी की संभावना से खरीद 40 लाख गांठ से ज्यादा होने की उम्मीद है। अबोहर स्थित मैसर्स कमल कॉटन ट्रेडर्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन के भाव पिछले एक महीने में 6.47 फीसदी बढ़े हैं। न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में कॉटन के अक्टूबर वायदा अनुबंध में भाव बढ़कर 63.18 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं। पिछले आठ-दस दिनों में चीन ने करीब छह लाख गांठ कपास खरीद के सौदे किये हैं। विश्व स्तर पर आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है जिससे कॉटन की खपत में इजाफा होने की संभावना है। उत्तर भारत में नई कपास की दैनिक आवक पांच से छह हजार गांठ की हो रही है। नमी की मात्रा ज्यादा होने से भाव 2400-2750 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। केंद्र सरकार ने कॉटन के एमएसपी में बढ़ोतरी न करके भाव 2500 से 3000 रुपये क्विंटल पिछले साल के बराबर ही रखा है। गुजरात में 4000 गांठ की दैनिक आवक हो रही है जबकि यहां एस-6 किस्म की कॉटन के भाव 22,400-22,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) चल रहे हैं। महाराष्ट्र में नई कपास की दैनिक आवक 500-600 गांठों की शुरू हो गई है।खराब कॉटन के लिए नेफेड को हर्जाना नहींमुंबई। सरकार ने एग्री कोऑपरेटिव एजेंसी नेफेड को खराब हो चुकी कपास की बिक्री से हुए नुकसान के लिए किसी तरह की क्षतिपूर्ति देने से इनकार किया है। सूत्रों के मुताबिक नेफेड जल्द ही बाजार में 150 करोड़ रुपये मूल्य की 3.10 लाख गांठ खराब कपास खुले बाजार में बेचने जा रही थी। नेफेड को सरकार ने कपास खरीद के लिए अपनी तरफ से कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) के साथ कपास खरीद के लिए नामित एजेंसी बनाया है। नाफेड ने वर्ष 2008-09 में 36 लाख गांठ कॉटन की खरीद की थी। उसने फेयर औसत क्वालिटी (एफएक्यू) ग्रेड की कपास 2,800 प्रति क्विंटल एमएसपी पर खरीदी थी। स्टॉक को खुले बाजार में बेचने पर होने वाले घाटे के लिए सरकार से मुआवजा हासिल करने के लिए नेफेड को अधिकार है। लेकिन जब नेफेड ने इसकी बिक्री के लिए टेंडर मांगे तो बारिश, पानी या आग से खराब हुई ऑफ ग्रेड कॉटन की मात्रा 3.10 लाख गांठ निकली। सूत्रों का कहना है कि कृषि मंत्रालय के निर्देशों के बाद 3 सितंबर को यह बोली निरस्त कर दी गई। सूत्रों का कहना है कि यह 3.10 लाख गांठ कॉटन महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव कॉटन ग्रोवर्स मार्केटिंग फेडरेशन ने नेफेड की तरह से खरीदी थी। संपर्क करने पर फेडरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर उज्ज्वल उके ने कहा कि नेफेड की तरफ से फेडरेशन द्वारा खरीदी गई कपास को लेकर त्नकुछ भ्रमत्न की स्थिति बनी हुई है। जब हमने यह कॉटन खरीदी थी, तब यह एफएक्यू ग्रेड की थी, जैसा कि हमने टेक्साइटल कमिश्नर ने बताया था। उन्होंने नेफेड से भी कहा था कि कॉटन की जांच तकनीकी विशेषज्ञों से करवा लें क्योंकि एफएक्यू ग्रेड की पहचान केवल रंग से नहीं की जा सकती। सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय ने कहा है कि नेफेड को खराब हुई 3.10 लाख गांठ कपास की डिलीवरी नहीं लेनी चाहिए। इसके बाद नेफेड ने यह प्रक्रिया रोक दी है और भी इस खराब हुई कपास पर फैसला होना बाकी है। (प्रेट्र) (बिज़नस भास्कर....र स रना)
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