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23 सितंबर 2009

ज्यादा तापमान से सरसों की अगैती खेती प्रभावित

राजस्थान के किसान मौसम की मार से अब तक नहीं उबर पाए हैं। मानसून की बेरुखी से पहले खरीफ सीजन बिगड़ा और अब तापमान ज्यादा होने से सरसों की अगेती बुवाई नहीं हो पा रही है। सरसों की अगेती बुवाई के लिए 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक का समय उपयुक्ता होता है। लेकिन मौजूदा 40 डिग्री सेल्सियस तापमान सरसों बुवाई के लिए अनुकूल नहं है। इसलिए किसान बुवाई नहीं कर पा रहे हैं।भरतपुर स्थित सरसों अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता अशोक शर्मा के मुताबिक रबी सीजन के दौरान राजस्थान में बड़े पैमाने पर सरसों की ही अगेती फसल होती है। इसकी बुवाई 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच की जाती है। इससे किसानों को दोहरा लाभ मिलता है। पहला लाभ यह कि सितंबर के पहले पखवाड़े तक मानसून सक्रिय रहने से जमीन में पर्याप्त नमी रहती है। इसके चलते अगेती बुवाई से पहले सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती और बीजों में अंकुरण हो जाता है। किसानों को फिर 45 दिन बाद फसल की सिंचाई करनी होती है। ऐसे में नबंवर में मावठ (बारिश) हो जाए तो बिना सिंचाई सुविधा के किसान आसानी से सरसों की फसल ले सकते हैं। दूसरा फायदा यह है कि जल्दी बुवाई से फसल जल्दी तैयार हो जाती है। ऐसे में किसानों को बाजार में फसल के दाम भी अच्छे मिल जाते हैं। लेकिन बुवाई के लिए तापमान 25 से 32 डिग्री सेल्सियस के बीच होना जरूरी है, अन्यथा बीज जल जाते हैं। लेकिन इस समय राजस्थान के अधिकांश जिलों में तापमान लगभग 40 डिग्री बना हुआ है। इस कारण किसान सरसों की अगेती बुवाई नहीं कर पा रहे हैं। सिंचाई सुविधा न होने पर उनकी परेशानी ज्यादा है।राजस्थान कृषि निदेशालय के उप निदेशक कृषि सूचना अतर सिंह मीणा के अनुसार पिछले वर्ष रबी सीजन के दौरान राजस्थान में 27।38 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई थी। इसमें से 25 से 30 फीसदी बुवाई 15 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच हो गई थी। लेकिन इस साल अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही सरसों की बुवाई शुरू होने की संभावना है। यह देखते हुए रबी सीजन में सरसों की नई फसल में देरी भी हो सकती है। वैसे भी मौजूदा हालात को देखते हुए इस साल रबी सीजन के दौरान राज्य में 26।47 लाख हैक्टेयर में ही सरसों की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है जबकि पिछले वर्ष 27.38 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इस तरह सरसों का रकबा पिछले वर्ष से कम हो सकता है। (बिज़नस भास्कर)

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