चंडीगढ़ September 28, 2009
इस साल खरीफ की फसल की बुआई के दौरान उम्मीद से बहुत कम बारिश हुई। बाद में बारिश हुई भी तो किसानों ने कहा- का वर्षा जब कृषि सुखाने।
अब किसानों के साथ सरकार ने भी रबी की फसलों के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस साल रबी की फसल कुछ हद तक खरीफ के नुकसान की भरपाई कर देगी। खरीफ के नुकसान और रबी की फसलों से बढ़ी उम्मीदों का एक जायजा ...
बारिश में कमी का असर पंजाब में धान की फसलों पर नहीं पड़ा है। यह हकीकत है कि तमाम जिलों में बुआई के दौरान सामान्य से 50 प्रतिशत से कम बारिश हुई है। बावजूद इसके, किसानों ने जून और जुलाई महीनों में चालू खरीफ सत्र में लक्ष्य के मुताबिक बुआई कर ली।
पंजाब में धान की रोपाई 10 जून के बाद से जुलाई के चौथे सप्ताह तक चली। 13 जुलाई तक राज्य में बारिश में सामान्य से 65 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। इतनी कम बारिश होने के बावजूद, किसानों ने 23 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई की।
बारिश की स्थिति में सुधार होने के बाद किसानों ने 27.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में रोपाई पूरी कर ली, जबकि पिछले साल धान की रोपाई का क्षेत्रफल 27.35 लाख हेक्टेयर था। सरकार ने 26 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान की रोपाई का लक्ष्य रखा था।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अभी उत्पादन के बारे में कुछ भी अनुमान लगाना कठिन है, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि बारिश में कमी की वजह से किसानों की उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है। वहीं बाद में हुई बारिश की वजह से नुकसान की भरपाई तो हुई ही, रबी की फसलों को भी इससे फायदा पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
राज्य के जलाशयों में पानी भर गया है, जिससे उम्मीद जगी है कि रबी की फसलों के दौरान सिंचाई के लिए पानी नहीं कम पड़ेगा। जल स्तर में सुधार आया है। इससे रबी की फसल की बुआई पहले करने में मदद मिलेगी। किसान कुछ इलाकों में कम समय में तैयार होने वाली दलहनी फसलों की खेती भी कर सकते हैं।
हालांकि अभी रबी की फसलों के बारे में सरकारी अनुमान आने में वक्त लगेगा। पंजाब के कृषि विभाग के सचिव बीएस सिध्दू ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ' धान की रोपाई वाले इलाकों में रोपाई का काम हुआ है, लेकिन इससे किसानों की लागत बहुत बढ़ गई है।' (बीएस हिन्दी)
29 सितंबर 2009
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