केंद्र सरकार आलू और प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 यानी ECA के दायरे में लाने पर विचार कर रही है। आलू के लिए तो ये पहला मौका है, लेकिन प्याज पर पांच साल बाद दोबारा ये रोक लगेगी।
पैदावार में कमी की आशंका के बीच आलू नवरात्रि के दौरान 35 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया। कारोबारियों की मानें तो दाम में तेजी अगले महीने भी बनी रह सकती है। दूसरी ओर प्याज अभी तो स्थिर है, लेकिन नवरात्र के बाद मांग में खासे तेजी से दाम में खासे उछाल के आसार बन सकते हैं।
इसीलिए केंद्र सरकार ऑर्डिनेंस जारी कर आलू और प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 यानी ECA में शामिल करने की सोच रही है। इसके बाद राज्य सरकारों को व्यापारियों के स्टॉक की सीमा तय करने का अधिकार मिल जाएगा। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार ने विशेष अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए जुलाई में ही आलू को आवश्यक वस्तुओं के लिस्ट में शामिल कर दिया था।
कारोबारियों की राय में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में फसल खराब होने से आलू की सप्लाई काफी घटने की आशंका है। जबकि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तो, पिछले साल औने-पौने भाव बेचने को मजबूर किसानों ने इस बार ज्यादा आलू बोया ही नहीं।
आलू-प्याज की कमी की आशंका ही है कि महंगाई दर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, आलू 52 हफ्तों में औसत 11 परसेंट महंगा हुआ और प्याज करीब 20 परसेंट। हाल में ही प्याज का एक्सपोर्ट महंगा किया गया। लेकिन दाम बहुत ज्यादा नहीं गिरे है। अब सरकार को उम्मीद है कि नयी कोशिश से हालात सुधरेंगे। (आवाज कारोबार)
26 सितंबर 2009
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें