September 24, 2009
मॉनसून की वापसी में हुई 3 सप्ताह की देरी से खरीफ फसलों का भला तो हुआ ही है, साथ ही रबी फसलों की अच्छी बुआई की संभावनाओं में भी इजाफा हुआ है।
हालांकि, इसके बावजूद देश के बड़े जलाशयों में पानी की कमी को पूरा करने में सफ लता नहीं मिल सकी। इस समय देश के 81 जलाशयों में जलस्तर इनकी कुल क्षमता का मात्र 57 फीसदी भरा है जो इस सत्र के शुरू से ही मॉनसून की बेरुखी से सामान्य स्तर से 12 फीसदी कम है। जलस्तर में कमी सिंचाई और जल विद्युत उत्पादन दोनों के लिए चिंता का विषय है।
हालांकि, अच्छी बात यह रही कि मध्य सितंबर तक मॉनसून में 21 फीसदी की कमी के बावजूद इस साल फसलों की बुआई का रक बा पिछले साल के मुकाबले मात्र 7 फीसदी कम है। खरीफ फसलों की बुआई से संबंधित आंकड़े अभी आ रहे हैं और अगस्त के अंतिम और सितंबर के पहले सप्ताह में हुई अच्छी बारिश से इन आंकडों में और अधिक सुधार की गुंजाइश बन रही है।
बड़े पैमाने पर हुई बुआई और अंतिम समय में बेहतर बारिश की वजह से खेतों में खड़े मोजे अनाज, दलहन और कपास की फसलों को काफी फायदा पहुंचा है, जिससे इन फ सलों के उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावनाएं और अधिक बढ़ गई हैं। लेकिन अपेक्षाकृत कम बुआई से धान और तिलहन, खासकर मूंगफली जैसे फसलों की सेहत में सुधार के अभी तक कोई संकेत नहीं मिले हैं।
सोयाबीन और गन्ने का उत्पादन जुलाई और अगस्त के साथ ही सितंबर में हुई अच्छी बारिश की वजह से पिछले साल के स्तर पर ही रह सकता है। जहां तक देश के जलाशयों में जलस्तर का सवाल हैं, स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती है।
उत्तर भारत में भाकरा अपनी कुल क्षमता का 63 फीसदी तक भरा हुआ है, जबकि सामान्य स्थिति में यह स्तर 83 फीसदी तक होता है। उत्तर प्रदेश के रामगंगा की हालत तो इससे भी बदतर है और इस साल इसमें मात्र 19 फीसदी जल का भंडारण संभव हो सका है।
इसी तरह, पश्चिम में उकाई और कदाना बांध जलाशय अपनी क्षमता का क्रमश: 55 फीसदी और 67 फीसदी तक भरा है। मध्य प्रदेश के इंदिरासागर बांध के तहत 23.8 लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र आता है, जबकि इसकी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 1000 मेगावॉट है लेकिन, यह अपनी क्षमता का सिर्फ 63 फीसदी तक भरा हुआ है।
दक्षिण भारत में नागार्जुन सागर मात्र 17 फीसदी तक भरा हुआ है जबकि सामान्य स्थिति में इस साल के अंत तक यह 60 फीसदी के आसपास भरा होना चाहिए था। केंद्रीय जल आयोग के अनुमान के अनुसार कुल मिलाकर देश के 81 जलाशयों में 17 सितंबर तक जलभंडार 85.98 अरब क्यूबिक सेंटीमीटर दर्ज किया गया था जबकि पिछले साल इसी तारीख तक यह 104.38 अरब क्यूबिक मीटर तक भरा हुआ था।
जलाशयों में जल भंडारण में कमी की मुख्य वजह मॉनसून का कमजोर होना रहा है जो पिछले 5 सालों में सबसे बदतर रहा। इस महीने की 17 तारीख तक जुटाए गए कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में 315.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई हो पाई थी, जो पिछले साल के 376.5 लाख हेक्टेयर से 60 लाख हेक्टेयर कम है।
धान के रकबे में गिरावट ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में हुई है। इस साल देश में दलहन की रोपाई में बढ़ोतरी हुई है और पिछले साल के 92.8 लाख हेक्टेयर से बढ़कर यह 97.7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है। इसकी मुख्य वजह कर्नाटक और में मूंग और मध्य प्रदेश में उड़द की खेती में हुई बढ़ोतरी प्रमुख हैं।
तिलहन के रकबे में कमी आई है और यह पिछले साल के 179।7 लाख हेक्टेयर से कम होकर इस साल 167.4 लाख हेक्टेयर रह गई है। आंध्र पदेश और गुजरात में मूंगफली की बुआई में 7.5 लाख हेक्टेयर की आई कमी के कारण ऐसा हुआ है। (बीएस हिन्दी)
25 सितंबर 2009
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