मुंबई September 17, 2009
सामान्य धारणा होती है कि सोना महंगा होता है तो पुराने जेवरात की बिक्री धड़ाधड़ होती है। लेकिन स्थानीय बाजारों में माहौल कुछ अलग है।
कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, लेकिन पुराने सोने की बिक्री में करीब 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। स्थानीय बाजारों में काम करने वाले जौहरी सामान्यतया 100 ग्राम सोने की बिक्री करते हैं तो उन्हें 20-30 ग्राम प्रयोग किया हुआ सोना वापस मिलता है।
जब इस धातु की कीमतें बढ़ जाती हैं तो पुराने सोने की बिक्री भी बढ़ जाती है। लेकिन इस समय सोने की कीमतें सर्वोच्च स्तर पर हैं और बिकवाल गायब हैं। सोना कारोबारियों को 100 ग्राम सोने की बिक्री पर महज 12-15 ग्राम पुराना सोना मिल रहा है।
इससे यह संकेत मिलता है कि ग्राहकों को उम्मीद है कि सोने की कीमतें आने वाले दिनों में और ज्यादा बढ़ेंगी, जिसके चलते वे बिकवाली से कतरा रहे हैं। इस उद्योग के जानकार अशोक मिनावाला ने कहा कि आने वाले दिनों में और बेहतर कीमतों की उम्मीद से ग्राहक पुराने सोने की बिक्री से बच रहे हैं।
लंदन स्थित स्वतंत्र धातु शोध संस्था गोल्ड फील्ड्स मिनरल सर्विसेज (जीएफएमएस) के हाल में एकत्र किए गए आंकड़ों के मुताबिक वैश्विक स्क्रैप रिकवरी (पुराने सोने की बिक्री) चालू कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही के दौरान 900 टन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई।
पहली तिमाही में पुराने सोने की बिक्री पिछले साल की पहली तिमाही की तुलना में 58 प्रतिशत बढ़ी, जबकि दूसरी तिमाही में यह बढ़ोतरी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13 प्रतिशत रही। शोध संस्था ने स्थानीय बाजार में बढ़ती कीमतों को ही पुराने सोने की बिक्री की प्रमुख वजह बताया है।
दूसरी तिमाही के दौरान कीमतों में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई, जिसके चलते पहली तिमाही की तुलना में पुराने सोने की बिक्री इस दौरान कम रही। पुराने सोने की कुल बिक्री में भारत की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत होती है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के भारत क्षेत्र के प्रबंध निदेशक अजय मित्रा ने कहा, 'उपभोक्ताओं के पास इस समय पुराना सोना बहुत कम बचा है। वे बचे हुए सोने को जरूरतों के मुताबिक भविष्य में बिक्री के लिए रोके हुए हैं। साथ ही उन्हें आने वाले दिनों में बेहतर दाम मिलने की भी उम्मीद है।'
इस समय सोने के ग्राहकों की समझ भी बहुत विकसित है और बाजार में चल रही गतिविधियों के मुताबिक ही वे फैसले लेते हैं। आल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन विनोद हयाग्रीव ने कहा, 'हमें इस तरह के तमाम उदाहरण मिले हैं कि ग्राहकों ने सोने की बिक्री के लिए जानकारियां मांगी हैं और बाद में उन्होंने अपनी राय तय की है।
वे बाजार की स्थिति को देखकर बिक्री के बारे में अपनी सोच बदल देते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आपूर्ति की कमी को देखते हुए, खासकर कम आयात की स्थिति में वे अपने सोने की बिक्री को रोके हुए हैं।' पुराने सोने की बिक्री में बहुत कमी होने का असर घरेलू रिफाइनरी कारोबार पर भी पड़ा है। इस समय सोने के रिफाइनर अपनी क्षमता से 25-30 प्रतिशत पर काम कर रहे हैं, जबकि सामान्य स्तर 40-45 प्रतिशत होता है।
उपभोक्ता इस समय नया सोना ही खरीद रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कीमतों में और बढ़ोतरी होगी। कोचीन स्थित गोल्ड रिफाइनिंग, चेम्मानुर गोल्ड रिफाइनरी के प्रबंध निदेशक और इंडियन एसोसिएशन आफ हालमार्किंग के चेयरमैन जेम्स जोस ने कहा कि रिसाइक्लिंग के लिए बाजार में सोना बहुत कम आ रहा है।
एक अनुमान के मुताबिक भारतीय खरीदारों के पास अभी भी 20,000-25,000 टन सोना है। लेकिन वे अपना सोना बाजार में नहीं बेच रहे हैं। जरूरत और मुनाफे को ध्यान में रखते हुए सोने की खरीदारी करने वाले ग्राहक अभी भी कीमतों के इस स्तर पर सोने की बिक्री कर रहे हैं।
भारत में सोने का उत्पादन महत 1 टन सालाना है, जबकि खपत 750 टन की है। शेष सोने की जरूरत आयात से पूरी की जाती है। बहरहाल बांबे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश हुंडिया के मुताबिक सितंबर महीने में आयात अगस्त के 21.8 टन की तुलना में घटकर 20 टन के करीब रहने के आसार हैं।
पुराने सोने की बिक्री में 50 प्रतिशत की गिरावटचालू कैलेंडर वर्ष की पहली छमाही के दौरान पूरी दुनिया में 900 टन पुराने सोने की रिकॉर्ड खरीदग्राहकों को आगामी महीनों में सोने के दाम और बढ़ने की उम्मीदखरीदार हो गए समझदार (बीएस हिन्दी)
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