नई दिल्ली September 16, 2009
दाल आयातकों ने अब तक दाल का आयात शुरू नहीं किया है। पिछले एक माह से निजी आयातक दाल का आयात नहीं कर रहे हैं।
उनका कहना है कि दाल आयात करने वाली सरकारी एजेंसियों की तरह सुविधा मिलने पर ही वे दाल का आयात शुरू करेंगे। दाल आयातकों के खिलाफ छापे की कार्रवाई बिल्कुल बंद कर दी गयी है।
फिलहाल देश भर में 4-5 लाख टन दाल का स्टॉक बताया जा रहा है जबकि नई फसल नवंबर के मध्य तक आएगी। दाल की घरेलू खपत लगभग 14 लाख टन है। पिछले एक माह से बंद आयात का असर दिसंबर तक दिखाई देने लगेगा।
पल्स इंपोर्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक सरकारी एजेंसियों को आयात पर 15 फीसदी की सब्सिडी दी जाती है। ये एजेंसियां ऊंचे दाम पर दाल की खरीदारी करती हैं और कम दाम पर बेच देती है। निजी आयातकों को सरकार की तरफ से कोई छूट नहीं मिलती। लिहाजा आयातक इन एजेंसियों के साथ खरीदने एवं बेचने दोनों ही स्थिति में पीछे छूट जाते हैं।
आयातकों ने अपनी मांग से कृषि मंत्री को अवगत करा दिया है। एसोसिएशन के उपाध्यक्ष सुरेश अग्रवाल कहते हैं, पूरे देश भर के दाल आयातकों ने मांग पूरी नहीं होने तक दाल आयात नहीं करने का फैसला किया है। फिलहाल भारत में सालाना 30 लाख टन दाल का आयात किया जाता है। देश की कुल खपत 170 लाख टन है और 140 लाख टन दाल की घरेलू उपज है।
आयातकों ने बताया कि कृषि मंत्री के हस्तक्षेप से उनके गोदामों पर चल रही छापे की कार्रवाई को बंद कर दिया गया है। दाल की कीमत 90 रुपये प्रति किलोग्राम तक होने के बाद सरकार की तरफ से जमाखोरी के खिलाफ कार्रवाई तेज हो गयी है। पल्स इंपोर्टस एसोसिएशन ने इस संबंध में देश भर के दाल आयातकों से कहा है कि उनके खिलाफ छापे की कार्रवाई होने पर वे तुरंत एसोसिएशन के पदाधिकारियों से संपर्क करे।
पिछले सप्ताह तक देश भर में 93.10 लाख हेक्टेयर जमीन पर दाल की बुआई की गयी है। यह रकबा गत वर्ष के मुकाबले 4.2 फीसदी अधिक है। इसके बावजूद उम्दा किस्म की दाल के उत्पादन के प्रति आशंका जाहिर की जा रही है।
असमय बारिश होने से राजस्थान में 40 फीसदी तक मूंग दाल के दागी होने की शिकायत मिल रही है। इस प्रकार की दालें सस्ते ढाबों में इस्तेमाल की जाती है। अक्टूबर में बारिश होने पर दाल की उत्पादकता में कमी आने की आशंका है। (बीएस हिन्दी)
17 सितंबर 2009
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