नई दिल्ली- पिछले कुछ वक्त से जारी महंगाई और खाद्य वस्तुओं में मिलावट के धंधे से छोटे पैक में खड़े मसालों के इस्तेमाल का ट्रेंड बढ़ रहा है। दिल्ली के मसालों के कारोबार से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक पिछले कुछ वक्त से खड़े गरम मसालों के पैकेटों की मांग में तेज इजाफा आया है। मांग में आए इजाफे की वजह से कारोबारियों ने कई तरह के बिना पिसे मसालों को बाजार में उतारना शुरू कर दिया है। दिल्ली में मसालों और सूखे मेवों के सबसे बड़े बाजार खारी बावली स्थित मसालों के कारोबारी महेश गुप्ता ने अब से कुछ वक्त पहले बिना पिसे गरम मसालों के पैकेट बाजार में उतारे। जेएम संस ब्रांड नाम से मसाले बेचने वाले गुप्ता बताते हैं, 'करीब डेढ़ साल पहले इन मसालों की इतनी ज्यादा मांग नहीं थी, लेकिन अब बेहतर क्वालिटी के लिए लोग इन मसालों को खरीदना पसंद कर रहे हैं।' बिना पिसे गरम मसालों के पैकेट बाजार में चार-पांच रुपए से लेकर 30 रुपए तक की रेंज में मौजूद हैं। पिसे मसालों में खतरनाक केमिकल, लकड़ी का बुरादा, रंग मिलाने के कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं। काली मिर्च पाउडर में चावल का आटा मिलाने और धनिया पाउडर में लकड़ी का बुरादा मिलाने के मामले आए हैं। यहां तक कि कुछ वक्त पहले पिसे मसालों में धोड़े की लीद मिलाकर बेचने वाली एक इकाई पकड़ी गई थी। बिना पिसे गरम मसालों के अलावा बिना पिसी मिर्च, धनिया, काली मिर्च वगैरह भी बाजार में उपलब्ध हैं। जेएम संस की योजना आने वाले वक्त में बिना पिसी हुई हल्दी को भी बाजार में पाउच के तौर पर उतारने की है। गुप्ता के मुताबिक, 'दरअसल, पिछले कुछ वक्त से मसालों में मिलावट के बढ़ते मामलों के चलते लोग अब खड़े मसाले खरीदना पसंद कर रहे हैं। हम छोटे-छोटे टुकड़ों में हल्दी को पाउच में पैक कर बाजार में उतारने की योजना बना रहे हैं। इसके अलावा खड़े मसालों से लोगों को जितनी जरूरत हो उतना पीसने की सुविधा हो रही है। पिसे हुए मसालों के जल्द खराब होने के डर से भी लोग इन्हें खरीद रहे हैं।'
खारी बावली की ही नौलखनाथ गोलानाथ फर्म भी एन बी मसालों के ब्रांड से इस तरह के बिना पिसे मसालों को बाजार में बेच रही है। इसी तरह से छुन्नूमल कल्लूमल फर्म भी सीके ब्रांड के तहत बिना पिसे गरम मसाले और दूसरे मसाले बेच रही है। करोल बाग मसाला कंपनी के गाय छाप ब्रांड के खड़े मसाले बाजार में मौजूद हैं। कारोबारियों का कहना है कि पिछले एक साल में ही खड़े गरम मसाले की बिक्री में करीब 50 फीसदी का उछाल आया है। इस तरह से इन मसालों की खरीद करने वालों का एक बड़ा वर्ग तेजी से तैयार हो रहा है। (इत हिन्दी)
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