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17 सितंबर 2009

ईरान में भारतीय बासमती के खिलाफ दुष्प्रचार से निर्यात उद्योग के हाथ-पांव फूले

नई दिल्ली- देश के 13,000 करोड़ रुपए के बासमती निर्यात उद्योग की राह से रोड़े हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। बासमती निर्यातकों ने हाल में ही निर्यात नियमों ढील के लिए सरकार से लड़ाई जीती है। इसके तहत न्यूनतम निर्यात कीमत (एमईपी) को 1,100 डॉलर प्रति टन से घटाकर 900 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है, लेकिन 1 अक्टूबर को नए सीजन की शुरुआत से पहले ही बासमती निर्यातकों को सबसे बड़े आयातक देश ईरान से नए खतरे का सामना करना पड़ रहा है। यह खतरा ईरानी मीडिया में छपी इन खबरों से बढ़ा है कि चावल की कई किस्मों, खासकर पूसा 1121 को जेनेटिक मॉडिफिकेशन (जीन संवर्द्धन) और रासायनिक रूप से उपचारित कर बनाया गया है, लिहाजा ये स्वास्थ्य के लिए हानिकर हैं। निर्यातकों ने वाणिज्य सचिव राहुल कुमार से मिलकर इस मसले पर चर्चा की है और उनसे अनुरोध किया है कि सरकार इसके लिए उपयुक्त स्तर पर हस्तक्षेप करे।
पिछले हफ्ते एपीईडीए के महाप्रबंधक नवनीश शर्मा ने तेहरान स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों को एक जरूरी संदेश भेजा था जिसमें इस बात को रेखांकित किया गया था कि किस प्रकार ईरानी प्रेस का एक हिस्सा भारत से आयात होने वाले बासमती चावल के बारे में आधारहीन आरोप लगा रहा है। इसके बाद आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (एआईआरईए) की तरफ से एक और गंभीर पत्र भेजा गया। इन दोनों पत्रों में भारतीय दूतावास से आग्रह किया गया कि वह इस घटना पर बारीकी से नजर रखे और भारतीय अधिकारियों को जानकारी देता रहे। इस मसले को जल्दी निपटाने के लिए निर्यातकों ने इस पर एपीईडीए के अधिकारियों से बातचीत की है। एआईआरईए के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर जय ओबरॉय ने मिडल ईस्ट कमिटी ऑफ दि एसोसिएशन के चेयरमैन और सदस्यों को पत्र लिखकर बताया है कि ईरानी मीडिया में छपी खबरें गलत और दुर्भावनापूर्ण हैं। इस बात पर जोर दिया गया है कि हो सकता है कि स्वाथीर् तत्वों ने ऐसी खबरों को प्लांट किया हो। ईरानी मीडिया की इन खबरों का भारतीय निर्यातकों पर कितना बड़ा असर पड़ सकता है, इसका अंदाजा इसके कारोबार से लगाया जा सकता है। साल 2007-08 में बासमती निर्यात कारोबार को मुनाफे का बड़ा हिस्सा ईरान से ही हासिल हुआ था। मध्य-पूर्व में भारतीय चावल का इतना बड़ा ऑर्डर और किसी देश से नहीं आता। इस साल भी ईरान पारसी नव वर्ष के दौरान बासमती किस्म पूसा 1121 का सबसे बड़ा आयातक रहा। टिल्डा राइसलैंड के डायरेक्टर आर एस शेषादी ने बताया कि साल 2008-09 में भारत ने रिकॉर्ड 18 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया था। इस साल 30 सितंबर तक के सीजन में निर्यात 20 लाख टन को पार कर सकता है। अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में 25 लाख टन बासमती के निर्यात की उम्मीद है। (इत हिन्दी)

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