नई दिल्ली : एक भारतीय थिंक टैंक ने कहा है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा के लिए सार्क फूड बैंक बनाने जैसे कदमों के बजाय दक्षिण एशियाई देशों को आपस में कृषि व्यापार बढ़ाना चाहिए। इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) द्वारा 'दक्षिण एशिया में खाद्य सुरक्षा: मुद्दे और अवसर' नाम से प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि ऊंचे टैरिफ और नॉन टैरिफ बाधाओं के कारण मौजूदा समय में सार्क देशों के बीच व्यापार काफी कम है। इस अध्ययन में कहा गया है, 'खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए दक्षिण एशियाई देशों के बीच क्षेत्रीय स्तर पर व्यापार को बढ़ाना एक महत्वपूर्ण कदम होगा, बजाय इसके कि सार्क फूड बैंक स्थापित करने जैसे कदम उठाए जाएं जो आपातकालीन स्थितियों से निपटने के एक जरूरी व्यवस्था है।'
कहा गया है कि दक्षिण एशिया यानी अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव में सबसे ज्यादा 42।3 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी दैनिक कमाई एक डॉलर से या उससे कम है। इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा कुपोषित और गरीब करीब 29.9 करोड़ लोग रहते हैं जो इस मामले में दुनिया का करीब 40 फीसदी हिस्सा हैं। खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुमान का उदाहरण देते हुए अध्ययन में कहा गया है, '2010 तक दुनिया के कुल कुपोषित लोगों का आधा भाग एशिया से होगा और इसमें से दो तिहाई लोग दक्षिण एशिया से होंगे।' अध्ययन करने वालों ने सुझाव दिया है कि व्यापार बाधाओं को कम करना जरूरी है। इसके साथ इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि घरेलू बाजार में इन्सेंटिव से बाधा न आए। इसमें कहा गया है कि यह भी महत्वपूर्ण है कि दक्षिण एशियाई देश अधिक अनाज को अनाज की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में तेजी से भेजें, खासतौर संकट के समय। इसके लिए परिवहन और परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की जरूरत होगी। साथ ही, विभिन्न देशों में भंडारण क्षमता में भी वृद्धि करनी होगी। (इत हिन्दी)
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