नई दिल्ली- जरूरी कमोडिटी वस्तुओं की आसमान छू रही कीमतें कहीं त्योहारी सीजन का मजा न किरकिरा कर दें, इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने गुरुवार को राज्य सरकारों से कहा कि वे ट्रेडरों के पास चीनी, दालों, धान, चावल और खाद्य तिलहन के भंडारण की मात्रा तय करें। ट्रेडरों पर भंडारण सीमा के ये नियम सितंबर 2010 तक लागू रहेंगे। इससे पहले केंद्र सरकार ने कालाबाजारी और कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए राज्य सरकारों को अधिकार दिया था कि वे 8 जनवरी 2010 तक चीनी की भंडारण सीमा पर लगाम रख सकती हैं। राज्य सरकारों को सितंबर 2009 तक दालों, धान, चावल और खाद्य तेल की भंडारण सीमा तय करने के अधिकार दिए गए थे। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने बताया कि अब आवश्यक वस्तु कानून, 1955 के तहत केंद की अधिसूचना को 30 सितंबर 2010 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है। यह अधिसूचना चीनी, दालों, धान, चावल और खाद्य तेलों पर लागू होगी। एक साल पहले के मुकाबले चीनी की कीमतें दोगुनी होकर इस समय 37 रुपए प्रति किलो तक पहुंच चुकी हैं जबकि दालों, खासतौर पर अरहर की कीमतें पिछले चार महीनों में 50 फीसदी बढ़कर 90 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है। इसके अलावा पिछले चार महीनों में चावल की कीमतों में भी कम से कम 25 फीसदी की वृद्धि हुई है। अंबिका सोनी ने कहा, 'केंद्र सरकार पहले ही अधिकार दे चुकी है। राज्य सरकारें स्थानीय परिस्थितियों और दूसरी बातों को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले सकती हैं।'
चीनी के मामले में सरकार ने प्रति ट्रेडर के हिसाब से 2,000 क्विंटल की सीमा तय की है। हालांकि कोलकाता में यह सीमा 10,000 क्विंटल है क्योंकि वह देश में कमोडिटी ट्रेडिंग का सबसे बड़ा केंद है। इसके अलावा इसमें यह भी प्रावधान है कि चीनी मिलने के 30 दिनों के भीतर उसे बेचना पड़ेगा। जमाखोरी के खिलाफ अभियान में पिछले महीने तब तेजी आई जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यों को निदेर्श दिया कि वे ऐसी अवैध गतिविधियों पर पूरी सख्ती से लगाम लगाएं और महंगाई पर काबू पाने की कोशिशों में मदद करें। प्रधानमंत्री ने कैबिनेट सचिव के एम चंदशेखर को निदेर्श दिया था कि वह राज्यों के मुख्य सचिवों से बातचीत करें और जरूरी वस्तुओं की भंडारण सीमा का सख्ती से पालन किए जाने पर जोर दें। (इत हिन्दी)
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