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14 सितंबर 2009

लोहे की कीमतें जमीन पर

मुंबई September 13, 2009
लौह-अयस्क के सबसे बड़े उपभोक्ता चीन के खरीदारी बंद करने से इसकी कीमतों में पिछले तीन सप्ताह के दौरान खासी कमी आई है। चीन अपने यहां पहले से जमा भंडार को समाप्त करने पर जोर दे रहा है और सक्रिय खरीदारी से परहेज कर रहा है।
स्टील के उत्पादन में प्रयुक्त होने वाले इस कच्चे पदार्थों की कीमत में पिछले तीन सप्ताहों के दौरान खासी कमी दर्ज की गई है और कीमतें इस समय प्रति टन 60-65 डॉलर के आसपास रह गई, जबकि अगस्त के तीसरे सप्ताह में इसकी कीमत 112-115 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंच गई थी।
स्पॉट फ्री ऑन बोर्ड बंदरगाहों के आकार पर भी निर्भर करती है। बंदरगाहों का आकार जितना छोटा होगा कीमतें उतनी ही कम होंगी, जबकि बड़े बंदरगाह जहां पर बडी संख्या में जहाज खड़े हो सकते हैं, वहां कीमतें ज्यादा होती हैं।
इस लिहाज से छोटे बंदरगाहों पर कीमतें 60 डॉलर प्रति टन है जबकि बड़े बंदरगाहों यही कीमत 65 डॉलर प्रति टन के स्तर तक चली गईं हैं। भारतीय खनिज उद्योग महासंघ (एफआईएमआई) के महासचिव आरके शर्मा कहते हैं 'खनिज बाजार में पूरी तरह अनिश्चितता का माहौल है।
चीन कम से कम इस समय तो खरीदारी नहीं कर रहा है। ऑस्टे्रलिया भारत के मुकाबले सस्ती कीमतों पर लौह-अयस्क मुहैया करा रहा है जिससे खरीदार ऑस्ट्रेलिया की तरफ रुख कर लेते हैं। शर्मा ने कहा कि चीन में स्टील की कीमतों में काफी गिरावट आई है जिससे पता चलता है कि विश्व में लौह-अयस्क के सबसे बड़े उपभोक्ता देश चीन में लौह-अयस्क की मांग में काफी कमी आई है।
दूसरी तरफ दक्ष्णि-पूर्व एशिया और मध्य पूर्व में स्टील की मांग में काफी सुधार आया है और इसे देखते हुए उम्मीद की जा सकती है कि निकट भविष्य में लौह-अयस्क की मांग में तेजी आ सकती है। हालांकि, मांग में कब तक तेजी आएगी इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल होगा।
भारत के पड़ोसी देश चीन की ओर से कच्चे पदार्थों की मांग कमजोर पड़ने से भारत से होने वाले कच्चे पदार्थों के निर्यात पर काफी असर पड़ सकता है। साथ ही बंदरगाहों पर मालों के लदान और उतारने में हो रही देरी से भी निर्यात पर बुरा असर पड़ रहा है।
बर्थ संख्या 9 जहां से 120 लाख टन लौह-अयस्क का निर्यात हुआ था, उसके बुधवार से काम शुरू करने की योजना थी, लेकिन बाद में उपकरण में समय पर सुधार नहीं होने की वजह से इस अवधि को एक सप्ताह के लिए बढा दिया गया था।
गोवा खनिज अयस्क निर्यातक एसोसिएशन (जीएमओईए) के सचिव ग्लेन कलावमपारा ने कहा, 'मौजूदा हालत को देखते हुए बर्थ 9 इस महीने के दूसरे पखवारे में काम करना शुरू करेगा।' एक विशेषज्ञ ने कहा कि भारत से आने वाले लौह-अयस्क से लदे जहाज की आवाजाही पर बुरा असर पड़ सकता है।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि चीन में लौह-अयस्क का भंडार लंबे समय तक नहीं टिक सकता है। चाइना ऑयरन ऐंड स्टील एसोसिएशन द्वारा संकलित आंकडों के अनुसार चीन में कच्चे स्टील का उत्पादन अगस्त के पहले सप्ताह में 167 लाख टन के स्तर पर हो रहा था। जिससे कुल सालाना उत्पादन 61करोड़ टन के स्तर पर पहुंच जाएगा। (बीएस हिन्दी)

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