नई दिल्ली September 13, 2009
देर से ही सही बारिश की बूंदों ने कई जख्मों पर मरहम लगाया है।
देश के कुछ हिस्सों में बारिश बढ़ने से बिजली की किल्लत कम हुई है और आखिरी सांस लेती खरीफ की फसल को जीवन की बूंद मिल गई हैं। इतना ही नहीं रबी की फसल के लिए किसानों की उम्मीद फिर हरी हो गई है।
देश के 81 जलाशयों में पानी का स्तर बारिश की वजह से बढ़ गय है। इनकी कुल क्षमता 15,100 करोउ घन मीटर है। कुछ दिन पहले तक इनमें कुल 38 फीसदी पानी था, जो हाल की बारिश के बाद बढ़कर 51 फीसदी हो गया है। हालांकि केंद्रीय जल आयोग की मानें तो मॉनसून की बेरुखी की वजह से पानी के भंडारण की हालत खराब हो गई थी और जून में महज 9 फीसदी पानी का भंडारण हो सका।
चहक उठे किसान
पिछले हफ्ते जून से सितंबर के बीच सामान्य से 23 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन इस हफ्ते की झमाझम बारिश ने यह आंकड़ा घटाकर 20 फीसदी कर दिया। इस वजह से गेहूं, तिलहन और दलहन जैसी रबी की फसलें वक्त से पहले ही बोई जा सकती हैं।
कृषि मंत्रालय में कृषि उत्पादन आयुक्त एन बी सिंह कहते हैं, 'यदि सितंबर के अंत तक या उसके बाद भी ऐसी ही बारिश होती है, तो बाढ़ की आशंका तो पैदा नहीं होगी, उलटे रबी की फसल के लिए मामला खुशगवार हो जाएगा।' रबी में तिलहन और दालें अक्टूबर के मध्य में और गेहूं नवंबर में बोने शुरू किए जाते हैं। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी भी शुक्रवार को कह चुके हैं कि खरीफ के नुकसान की भरपाई रबी से करने की पूरी कोशिश की जाएगी।
बिजली भी रोशन
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 12 सितंबर को देश में बिजली की रोजमर्रा की उपलब्धता 3.57 फीसदी हो गई। पिछले महीने यह 0.78 फीसदी थी और उससे भी पहले यह शून्य से कम थी। बारिश की वजह से बिजली के बाजार में भी हायतौबा थम गई है और दाम पटरी पर आ गए हैं।
शनिवार के आंकड़ों के मुताबिक बिजली के औसत दाम 2.75 रुपये प्रति यूनिट हो गए हैं। बारिश की कमी की वजह से एक वक्त तो दाम 6.19 रुपये प्रति यूनिट हो गए थे। हालांकि माना जा रहा है कि बिजली के दाम इससे कम नहीं होंगे क्योंकि यह निम्नतम स्तर है। लेकिन इतना जरूर है कि अब कुछ समय तक दाम यहीं पर बने रहने की संभावना जताई जा रही है।
सिंह के मुताबिक हाल की बारिश से मिट्टी में नमी बढ़ जाएगी, जिससे खास तौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार में बुआई आसानी से हो जाएगी। लेकिन जिन राज्यों में बारिश नहीं हुई है, वहां भी खरीफ में हुए नुकसान की भरपाई के लिए जिला स्तर पर रणनीति तैयार होगी।
बारिश से लहलहा गई आस की फसल
तारीख मोटे अनाज दाल तिलहन6 जुलाई 26।6 6.5 35.517 जुलाई 101 38 10731 जुलाई 159 73 14112 अगस्त 174 88 15228 अगस्त 184 90 1583 सितंबर 184 93 16210 सितंबर 186 96 165आंकड़े लाख हेक्टेअर में स्रोत : कृषि मंत्रालय (बीएस हिन्दी)
14 सितंबर 2009
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