लखनऊ September 16, 2009
चीनी की बढ़ती कीमतें और गन्ने के उत्पादन में अनुमानित 20 फीसदी तक की गिरावट के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में गन्ने के क्षेत्र की आरक्षण प्रक्रिया चल रही है और यह इस महीने के अंत तक पूरी भी होने वाली है।
यूपी गन्ना अधिनियम, 1953 के तहत किसानों को यूपी गन्ना कमिश्नर के आदेशानुसार तय हिस्सा जिसे रिजर्वेशन ऑडर्र कहा जाता है, चीनी मिलों को देना पड़ता है। उत्तर प्रदेश में अनुमानित 40 लाख गन्ना किसान हैं और सभी चल रही चीनी मिलों के लिए कुल गन्ने की जरूरत लगभग 8 करोड़ टन है।
हालांकि इस साल गन्ने का उत्पादन लगभग 9 करोड़ टन है जिसमें से केवल 4 करोड़ टन ही पेराई के लिए मौजूद होगा। बाकी के गन्ने का इस्तेमाल गुड़ और खांडसारी इकाइयों के लिए या फिर इसका सीधा उपभोग करने के लिए भी किया जाता है। गन्ना कमिश्नर सुधीर एम बोगाडे यह रिजर्वेशन ऑडर्र को पास करने से पहले गन्ना उत्पादकों की शिकायतों पर सुनवाई कर रहे हैं।
नवंबर के पहले हफ्ते से ही पेराई शुरू होने की संभावना है। मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद डिवीजन में सुनवाई खत्म हो चुकी है और दूसरे डिवीजन में भी यह सुनवाई जल्द ही होने वाली है। इन बैठकों में राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) बढ़ाने की मांग के अलावा लंबित गन्ना भुगतानों से जुड़े मुद्दे को भी किसान उठाते हैं। उत्तर प्रदेश? में वर्ष 2008-09 में चीनी उत्पादन 40 लाख टन से भी कम हो गई। (बीएस हिन्दी)
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