बेंगलुरु September 16, 2009
दुनिया भर में कॉफी का भंडार अपने न्यूनतम स्तर पर है ऐसे में भारतीय कॉफी का दबदबा वैश्विक बाजार में बढ़ रहा है और इसके लिए ज्यादा कीमतों का ऑफर भी दिया जा रहा है।
बड़े कॉफी उत्पादक देशों मसलन भारत और ब्राजील में भी इस साल उत्पादन कम रहा है, जिसकी वजह से दुनिया भर की आपूर्ति में कमी आई है। इस उद्योग के सूत्रों का कहना है कि इसी वजह से कीमतों में इजाफा हुआ है और कीमतें अगले 4-5 महीने में बेहतर रहेंगी।
भारत की अरेबिका कॉफी की कीमतों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में अब तक के चार-हफ्ते के सबसे ऊंचे स्तर पर चला गया। कॉफी बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक आईसीई अरेबिका का वायदा ऊंचे स्तर पर बंद हुआ। दिसंबर कॉफी वायदा 655 अंक की बढ़त के साथ 1.33 डॉलर प्रति पाउंड पर है। सितंबर कॉफी वायदा 680 अंक की बढ़त के साथ 1.32 डॉलर प्रति पाउंड है।
लिफे रोबुस्टा काफी वायदा अमेरिकी वायदा बाजार का अनुसरण करता है और यह सोमवार को ऊंचे स्तर पर बंद हुआ। लिफे सितंबर और नवंबर की कीमतें 17 डॉलर की बढ़त के साथ क्रमश: 1491 डॉलर प्रति टन और 1505 डॉलर प्रति टन है।
तमिलनाडु के कून्नूर में यूनाइटेड प्लैंटर्स एसोसिएशन ऑफ साउदर्न इंडिया (यूपीएएसआई) 116 वें सालाना कॉफ्रेंस के उद्धाटन के मौके पर कॉफी बोर्ड ने एक प्रस्तुति दी। उसके मुताबिक भारतीय कॉफी की कीमतें अगले 4-5 महीने जब तक नई फसल बाजार में आ न जाए तब तक बेहतर ही रहेंगी।
इस साल कर्नाटक जैसे ज्यादा उत्पादन वाले राज्य में समय से बारिश न होने और ज्यादा बारिश होने से भी फसलों का नुकसान हुआ। इसी वजह से कॉफी बोर्ड को अपने उत्पादन के पूर्वानुमान के आंकड़ों को कम करना पड़ा। ऐसा अनुमान है कि मौजूदा साल में देश का कुल उत्पादन 262,300 टन रहेगा जो पहले के 293,000 टन के अनुमान से 10 फीसदी कम है।
यहां तक की ब्राजील की फसल 3.9 करोड़ बोरी रहने की उम्मीद है जो उम्मीद से लगभग 11 फीसदी कम है। बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए कॉफी बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अगले कुछ महीने कम से कम जून 2010 तक जब ब्राजील की नई फसल बाजार में आएगी तब कीमतों में स्थिरता बरकरार रहेगी। ब्राजील को उम्मीद है कि 2010 में बंपर फसल का उत्पादन होगा।
इसके अलावा भारत में भी 306,300 टन का उत्पादन होने की उम्मीद है वहीं 101,525 टन अरेबिका और 204,755 टन रोबुस्टा के पैदावार की उम्मीद है जो बाजार में जनवरी 2010 तक आएगा। कॉफी एक्सपोट्र्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा के मुताबिक कीमतें छोटी अवधि के लिए ऊंची रहने की उम्मीद है।
बड़े कॉफी उत्पादक देशों में ज्यादा उत्पादन से बाजार में कॉफी का ज्यादा भंडार बन जाएगा और इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट का रुख तैयार हो जाएगा। राजा का कहना है, 'भारत में कीमतों में ज्यादा गिरावट नहीं हो सकती है कयोंकि यहां घरेलू मांग हमेशा बनी रहेगी। हालांकि निर्यात में कीमतों की प्राप्तियों में तेजी से कमी आएगी। अगले साल ज्यादा कारोबार भी होगा और कीमतों में भी कमी आएगी।'
फिलहाल भारत से कॉफी का निर्यात अब तक वैश्विक मंदी के दबाव को झेल रहा है। कॉफी निर्यात 1 जनवरी से 14 सितंबर, 2009 तक 1,37,276 टन रहा। (बीएस हिन्दी)
17 सितंबर 2009
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