18 सितंबर 2009
चावल उत्पादन 170 लाख टन घटने की संभावना : यूएसडीए
भारत का चावल उत्पादन चालू वर्ष 2009-10 में 170 लाख टन घट सकता है। अमेरिका के कृषि विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के करीब आधे हिस्से में सूखे के कारण प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में बुवाई प्रभावित हुई है जिसके चलते उत्पाद में भारी गिरावट रह सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2008-09 में रिकॉर्ड 990.2 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था लेकिन इस वर्ष यह घटकर 820 लाख टन रहने की संभावना है। देश के ज्यादातर हिस्सों में जुलाई से अगस्त तक बारिश कम रहने के कारण खरीफ सीजन में धान की बुवाई बुरी तरह प्रभावित हुई है।धान के बुवाई क्षेत्र में करीब 62 लाख हैक्टेयर की कमी आई। धान की ज्यादातर बुवाई अगस्त के दूसरे सप्ताह तक पूरी कर ली जाती है। इस बार देश में 26 अगस्त तक सामान्य से 25 फीसदी कम बारिश हुई है। सितंबर में अच्छी बारिश हुई लेकिन धान की बुवाई का समय निकल चुका था। हालांकि इससे उत्पादन में थोड़ी बढ़त हो सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने पिछले महीने कहा था कि कमजोर मानसून के कारण चालू खरीफ सीजन में चावल उत्पादन 100 लाख टन कम रह सकता है।मानसून कमजोर रहने का चावल उत्पादन पर सबसे ज्यादा असर उत्तर प्रदेश और बिहार में रहने की संभावना है। अन्य प्रमुख चावल उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में सिंचाई की बेहतर सुविधा होने के कारण इसका असर थोड़ा कम होगा। प्रमुख चावल उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल में भी इसका असर पड़ेगा क्योंकि एक जुलाई से 26 अगस्त तक राज्य में औसत से 22 फीसदी कम बारिश हुई है। हालांकि उड़ीसा में बारिश कुछ हद तक सामान्य रही है। चावल आपूर्ति के लिए केंद्रीय पूल में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले राज्य के रूप में उभरे छत्तीसगढ़ में भी उत्पादन में भारी गिरावट आ सकती है। (Business भास्कर)
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