कुल पेज दृश्य

17 सितंबर 2009

वैश्विक मंदी के दौर में हर राह सोने की ओर

मुंबई September 14, 2009
वर्तमान में सोने की ओर सभी भाग रहे हैं। इसका कारण है कि वायदा बाजार में सोना बेहतर प्रदर्शन कर ही रहा है, लोगों को इसमें निवेश पूरी तरह सुरक्षित नजर आ रहा है।
लंदन की स्वतंत्र धातु शोध परामर्श कंपनी, जीएफएमएस लिमिटेड ( गोल्ड फील्ड्स मिनरल्स सर्विसेज) ने भविष्य में सोने को लेकर दो अलग-अलग अनुमान लगाए हैं। खासकर अमेरिका में कर्ज के लिए नए डॉलर छापने और कम ब्याज दरों की वजह से महंगाई दर का दबाव बनने की आशंका जताई जा रही है।
डॉलर की कमजोरी और कुछ विकसित देशों में परंपरागत संपत्ति में निवेश से विश्वास टूटने की वजह से इस धातु को समर्थन मिल सकता है। परामर्श कंपनी का मानना है कि ऐसी स्थिति में सोने को 1000 डॉलर प्रति औंस पर बेहतर समर्थन मिलेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक धारणा पहले की तुलना में ज्यादा अस्थिर रहने की उम्मीद है। सोने का डॉलर के साथ उलटा संबंध है। यह डॉलर पर निर्भर करेगा कि सोने की भविष्य में दिशा क्या होगी।
सिटी ग्रुप सोने को लेकर ज्यादा आशावान है, जिसका मानना है कि सोने की औसत कीमतें इस साल 940 डॉलर प्रति औंस रहेंगी। इसके पहले इस साल के लिए औसत कीमतें 908 डॉलर प्रति औंस रहने की भविष्यवाणी की गई थी। परामर्श कंपनी के चेयरमैन फिलिप क्लापविज्क ने इसकी घोषणा करते हुए लंदन में सोमवार को कहा कि सोने की कीमतों में बढ़त जारी रहेगी।
विभिन्न मौद्रिक और प्रोत्साहन पैकेजों के चलते अभी स्थिति में बदलाव की भी संभावना है, जिससे अभी तक वैश्विक बाजार में विश्वास नहीं बन पाया है। यह उम्मीद की गई थी कि अमेरिकी कोष की घोषणाओं का असर सोने पर पड़ेगा, क्योंकि डॉलर में सुधार की उम्मीद की जा रही थी।
लीमन ब्रदर्स और अन्य वित्तीय संस्थाओं के धराशायी होने के बाद लोगों का विश्वास सोने के प्रति बढ़ा, क्योंकि इसमें निवेश से कोई खतरा नहीं है। पहली तिमाही में आभूषणों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ, और उसकी जगह स्क्रैप के कारोबार ने ले ली।
इसकी दो प्रमुख वजहें हैं- पहला, वैश्विक मंदी और मुद्रा का अवमूल्यन और दूसरे, खपत वाले देशों में सोने के स्थानीय दाम आसमान छूने लगे। इस साल की शुरुआत में भारत, तुर्की और इटली जैसे देश सोने के शुध्द निर्यातक बन गए। अब उम्मीद की जा रही है कि स्थिति में सुधार आएगा।
रेलिगेयर कमोडिटीज के जयंत मांगलिक ने कहा कि सोने का वायदा कारोबार इस बात का फैसला करेगा कि हाजिर बाजार की स्थिति क्या रहेगी, इसके साथ ही डॉलर की स्थिति का भी कीमतों पर असर पड़ेगा।
सालाना आधार पर खनन आपूर्ति में 2009 की पहली छमाही में 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इंडोनेशिया, चीन, रूस में नई परियोजनाओं के समर्थन से ऐसा हो सका है, जिस पर पहले ऑस्ट्रेलिया और कनाडा का दबदबा था। (बीएस हिन्दी)

कोई टिप्पणी नहीं: