मुंबई August 21, 2009
भारत के 15000 करोड़ रुपये वाले स्टील पाइप उद्योग में अगले 3-4 साल में 20-25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है।
विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों में सरकारें ऊर्जा सुरक्षा को लेकर सचेत हैं और वे इस क्षेत्र में निवेश कर रही हैं। विकसित देश भी वर्तमान पाइपलाइनों को बदलने की जरूरत महसूस कर रहे हैं, जिन्हें 25 साल पहले लगाया गया था।
इसे देखते हुए लगता है कि वैश्विक अर्थव्यस्था में सभी क्षेत्रों में मांग में बढ़ोतरी होगी। 2001-02 में यह उद्योग महज 1000 करोड़ रुपये का था। लेकिन इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है और हर साल करीब 35-40 प्रतिशत बढ़ोतरी पिछले 7 साल से देखी जा रही है।
अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान वैश्विक आर्थिक मंदी रही और नए ऑर्डर मिलना रुक गए, लेकिन पुराने सौदों की आपूर्ति जारी रही। देश की प्रमुख स्टील पाइप निर्माता कंपनियों में से एक, मैन इंडस्ट्रीज (इंडिया) के वाइस चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जेसी मनसुखानी ने कहा कि अब आने वाली तिमाहियों के लिए ऑर्डर मिलने लगे हैं और आर्थिक मंदी का असर खत्म होने लगा है।
मनसुखानी ने कहा, 'हाल के बीते दिनों में हमने पाया है कि एचएसएडब्ल्यू सेगमेंट से मांग तेल व गैस क्षेत्र के एलएसएडब्ल्यू सेगमेंट में चली गई है। इसकी वजह यह है कि एचआर प्लेटें उपलब्धता और कीमतों के मामले में सुविधाजनक हुई हैं।
इससे एचएसएडब्ल्यू पाइप कंपनियों के मुनाफे पर असर पड़ेगा। हमारा कारोबार एलएसएडब्ल्यू सेगमेंट में है, इसलिए हमारा कारोबार प्रभावित नहीं होगा, लेकिन उन कंपनियों के लिए समय कठिन है, जो एचएसएडब्ल्यू पाइप बनाती हैं।'
प्राकृतिक गैस भंडारों में इस समय बड़े पैमाने पर निवेश होने लगा है। इसके चलते वैश्विक कंपनियां गैस के परिवहन के लिए पाइपलाइनों का इस्तेमाल करती हैं, जिससे उत्पादन केंद्रों से उपभोग वाले स्थलों तक गैस पहुंचाई जा सके। भारत-म्यांमार और ईरान-भारत गैस पाइपलाइन दो बड़ी परियोजनाएं है जो इस दिशा में चल रही हैं।
राजनीतिक कारणों से भारत-म्यांमार गैस पाइपलाइन परियोजना में देरी हो रही है, वहीं ईरान ने इसी तरह का समझौता पाकिस्तान के साथ किया है। ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना 1500 किलोमीटर की है, जिसका विस्तार भविष्य में भारत तक किया जा सकता है। लेकिन भारत-म्यांमार गैस पाइपलाइन जल्द ही वास्तविक रूप ले लेगी।
इसी तरह से केजी बेसिन से निकलने वाली प्राकृतिक गैस के परिवहन के लिए भी बड़े पैमाने पर पाइपलाइन बिछाने की जरूरत पड़ेगी, जिससे इसे प्रत्येक घर तक पहुंचाया जा सके। जनसंख्या में बढ़ोतरी, आर्थिक विकास और जीवनस्तर में सुधार पूरी दुनिया में हो रहा है। (BS Hindi)
22 अगस्त 2009
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