नई दिल्ली : केंद्र सरकार के चीनी का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने वाली इकाइयों के लिए स्टॉक लिमिट तय करने के फैसले का असर बिस्कुट और मिठाई बनाने वाली इकाइयों पर पड़ना तय है। कारोबारी बता रहे हैं कि स्टॉक लिमिट तय करने से उन्हें लेबर, ट्रांसपोर्टेशन वगैरह पर पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। कारोबारियों के मुताबिक चीनी पर स्टॉक लिमिट लगाने की वजह से लागत में 5-7 फीसदी का असर पड़ेगा। इस वजह से बिस्कुट और दूसरे उत्पादों की कीमतों में आने वाले वक्त में और इजाफा हो सकता है। दिल्ली हलवाई एंड बेकर्स, रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट ईश्वर दयाल के मुताबिक, 'निश्चित तौर पर सरकार के फैसले का कारोबार पर फर्क पड़ेगा।
पहले जो निर्माता एक या दो महीने के लिए चीनी का भंडार एक बार में कर लेते थे, अब उन्हें इसे महीने में दो या तीन बार मंगाना पड़ेगा।' उन्होंने अनुमान जताया कि इस वजह से लागत में 5-7 फीसदी का उछाल आएगा। चीनी की कीमतें पिछले साल के 1,700-1,800 रुपए के स्तर से आज 3,200 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गई हैं और आने वाले वक्त में इनके ऊपर जाने की ही आशंका है। दयाल ने कहा कि ऐसे में स्टॉक लिमिट लगने से उत्पादों की कीमतों को बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं होगा। केंद्र सरकार ने चीनी की जमाखोरी पर चिंता जताते हुए महीने में इसकी 10 क्विंटल से ज्यादा खपत करने वाली इकाइयों पर केवल 15 दिन का स्टॉक रखने की लिमिट लगा दी है। बिस्कुट बनाने वाली मेघराज इंडस्ट्रीज के सतीश वर्मा के मुताबिक, 'हमारे पास ज्यादा दिनों का स्टॉक करने की क्षमता नहीं होती है। साथ ही इससे हमारी लागत में इजाफा होगा, जिससे हमें उत्पादों की कीमतें बढ़ानी पड़ेंगी।' अनुमान के मुताबिक दिल्ली में महीने में एक टन से ऊपर चीनी का इस्तेमाल करने वाले हलवाइयों और बिस्कुट बनाने वालों की संख्या 100 भी ज्यादा होगी। लक्ष्मी बिस्किट्स के मालिक सुरिंदर गाबा कहते हैं, 'असली असर सूखे का पड़ रहा है। इस वजह से नए सीजन में भी चीनी के कम उत्पादन की आशंका है। इसका पूरा असर कारोबार पर अभी से दिखाई पड़ने लगा है।' चीनी से जुड़े उत्पाद बनाने वाली इकाइयों पर स्टॉक लिमिट लगाने से पहले सरकार ने चीनी के थोक और फुटकर कारोबारियों पर यह लिमिट लगाई थी। सरकार ने थोक कारोबारियों पर 2,000 क्विंटल और फुटकर टेडर्स पर 200 क्विंटल की स्टॉक लिमिट लगाई हुई है। (इत हिन्दी)
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