22 अगस्त 2009
सूखे का सामना आयात से करेगी सरकार
कमजोर मानसून के कारण देश के 246 जिलों के सूखे की चपेट में आने के बाद अब सरकार को खाद्य वस्तुओं के आयात के लिए विवश होना पड़ रहा है। यह जानकारी किसी और ने नहीं, बल्कि खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने दी है। उन्होंने बताया कि सरकार उन सभी वस्तुओं का आयात करेगी जिनकी किल्लत महसूस की जाएगी ताकि मांग और पूर्ति में संतुलन बना रहे। प्रणब ने कहा कि भयावह सूखे के कारण खाद्यान्न समेत कई जिंसों की पैदावार में गिरावट की आशंका को देखते हुए सरकार ने आयात का निर्णय पहले ही ले लिया है। वित्त मंत्री शुक्रवार को यहां राज्यों के कृषि मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि देश में दालों और खाद्य तेलों की किल्लत पहले ही हो चुकी है। प्रणब ने इसके साथ ही यह भी कहा, सरकार इस बारे में कोई घोषणा नहीं करेगी कि किल्लत वाली वस्तुओं का आयात कब किया जाएगा। कारण यह है कि ऐसा होने पर अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इनकी कीमतों में कृत्रिम तेजी लाने पर आमादा हो जाती हैं। उन्होंने कहा, जैसे ही बाजार में यह खबर फैलती है कि भारत बड़े पैमाने पर किसी वस्तु का आयात करने वाला है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उसकी कीमत आसमान छूने लगती है।सूखे के असर का जिक्र करते हुए प्रणब ने कहा कि इससे न केवल उत्पादन प्रभावित होता है, बल्कि इसकी चौतरफा मार पड़ती है। वैसे, वित्त मंत्री ने देशवासियों को आश्वस्त करते हुए कहा है कि सरकार पहले भी इस तरह की स्थितियों से जूझ चुकी है। अत: हमें अपने-आप पर भरोसा रखना चाहिए। प्रणब ने यह भी कहा, बैंकों से कृषि ऋणों की समयावधि नए सिरे से तय करने को कहा गया है। नाबार्ड के जरिए किसानों को अधिक क्रेडिट कार्ड बांटे जाएंगे जिससे कि उन्हें ऋण लेने में आसानी हो। इसके अलावा जहां तक संभव होगा, राज्यों में सिंचाई के लिए केंद्रीय पूल से अतिरिक्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी। कृषि मंत्री शरद पवार ने इस मौके पर कहा कि रबी की फसल को पूर्वी यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल में अधिक क्षेत्र में लगाकर खरीफ के नुकसान की भरपाई करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्यों को सिंचाई और कृषि संबंधी अन्य कार्यों के लिए दिए गए फंड को पूरी तरह उपयोग में लाना होगा। (Business Bhaskar)
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