दुनिया भर में भले ही अनाजों के दाम घटे हों, लेकिन भारत में अभी भी खाद्य मुद्रास्फीति दोहरे अंकों में बनी हुई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि हालात में जल्द बदलाव आता भी नहीं दिख रहा। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के आंकड़ों पर आधारित ईटी के अध्ययन के मुताबिक साल 2008 के दौरान खाद्य कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज कराने वाली दुनिया की 16 अर्थव्यवस्थाओं में से भारत समेत केवल पांच ने इस साल अप्रैल में दोहरे अंकों में खाद्य महंगाई दर देखी है। सभी 35 मुल्कों के लिए इसी महीने के सैंपल उपलब्ध हैं। प्यूर्तोरिको, नेपाल, मैक्सिको और तंजानिया इस फेहरिस्त में जगह बनाने वाले दूसरे देश हैं। अर्थशास्त्रियों को लगता है कि मॉनसून के दगा देने की वजह से देश में अनाज उत्पादन पर असर पड़ेगा। ऐसे में आने वाले वक्त में अनाज की कीमतें ऊंचे स्तरों पर बनी रह सकती हैं।
कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के चीफ इकनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, 'पिछले साल कम कृषि उत्पादन की वजह से भारत में खाद्य महंगाई दर ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। खराब मॉनसून की वजह से इस साल भी कुछ ऐसा ही हो सकता है।' उन्होंने कहा, 'पिछले साल वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादों के दाम तीन वजह से असामान्य रूप से ज्यादा थे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों की वजह से ट्रांसपोर्टेशन महंगा हो गया था, फसलों की कटाई खाद्यान्न से बायोफ्यूल की ओर मुड़ गई थी और उत्पादन भी कम था।' भारत में अप्रैल के बाद भी खाद्य उत्पादों की कीमतें मजबूत बनी रहीं। औद्योगिक कर्मचारियों के लिए कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई-आईडब्ल्यू) एक साल पहले की अवधि की तुलना में जून में 9.28 फीसदी ज्यादा था। इसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों का ज्यादा होना है। हालिया आंकड़े दिखाते हैं कि उत्पादों और सेवाओं के उपभोक्ता दाम मई में रिकॉर्ड स्तरों से भी ऊपर चले गए थे। दिल्ली के थिंकटैंक आईसीआरआईईआर के निदेशक और चीफ एग्जिक्यूटिव राजीव कुमार ने कहा, 'खाद्य मुद्रास्फीति को काबू में करने के लिए सरकार को आयात के जरिए घरेलू मांग पूरी करने के लिए निजी खिलाडि़यों को इजाजत देनी चाहिए। खाद्य आपूर्ति श्रृंखला को आधुनिक बनाने के लिए कोशिश होनी चाहिए।' ईटी के अध्ययन से पता चलता है कि मैक्सिको, पोलैंड, कनाडा और नेपाल को छोड़कर सभी देशों में 2008 में औसत स्तरों की तुलना में अप्रैल 2009 में खाद्य कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। वेस्ट बैंक, गाजा पट्टी और श्रीलंका समेत ज्यादातर क्षेत्रों में खाद्य कीमतों में कमी दर्ज की गई है, जहां सरकार विरोधी हिंसक आंदोलन देखने को मिले हैं। श्रीलंका में अप्रैल के दौरान खाद्य कीमतों में पिछले साल की तुलना में 1.08 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में यह 18 फीसदी से घटकर 2 फीसदी पर आ गई है। (ET Hindi)
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