सरकारी पहल से बची फसल
चंडीगढ़ August 20, 2009
उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में मॉनसून की बेरुखी के कारण जहां खरीफ की फसल बरबाद हो चुकी हैं वहीं हरियाणा के किसान अपनी फसल बचाने में कामयाब रहे।
हरियाणा के किसानों की समझदारी ने राज्य को इस नुकसान से बचा लिया। हालांकि राज्य सरकार ने राज्य में सूखे जैसे हालात से निपटने के लिए करीब 3168.75 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मांग की है। सरकार की इस पहल से किसान टयूबवेल से खेतों की सिंचाई करने पर अतिरिक्त खर्च उठा पाए और उनकी फसल बच गई।
हरियाणा के राजस्व विभाग के अनुसार राज्य में 1 अप्रैल से लेकर 16 अगस्त तक सिर्फ 171.40 मिमी बारिश ही हुई है। जबकि पिछले 100 साल से राज्य में औसतन 348.9 मिमी बारिश हो रही थी।
यानी इस साल राज्य में औसत से भी 50.9 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि पिछले साल इसी समयावधि में 488.2 मिमी बारिश हुई थी। पिछले हफ्ते हुई बारिश ने किसानों को थोड़ी राहत तो प्रदान की है लेकिन हालात उतने बेहतर भी नहीं हैं।
राज्य के 21 जिलों में से अंबाला, भिवानी, फतेहाबाद, हिसार, कैथल, पंचकूला, रोहतक और सिरसा में थोड़ी बारिश ही हुई है। राज्य ने केंद्र सरकार को कृषि की बढ़ी लागत के लिए किसानों को नकद मुआवजा देने का सुझाव दिया है।
टयूबवेल से सिंचाई करने के कारण किसानों की लागत 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर आ रही है। जबकि राज्य सरकार किसानों को खड़ी फसल की सिंचाई टयूबवेल से करने के लिए डीजल पर 50 फीसदी सब्सिडी मुहैया करा रही है।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत करते हुए हरियाणा की वित्त आयुक्त उर्वशी गुलाटी ने बताया कि किसानों पर अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़े इसके लिए राज्य ने कम अवधि और लंबी अवधि की योजना तैयार कर रखी है।
उन्होंने बताया कि देश भर में होने वाले धान उत्पादन में हरियाणा की अच्छी खासी हिस्सेदारी है। उन्होंने बताया कि राज्य ने कृषि के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की आपूर्ति कराने के लिए 1007.50 करोड़ रुपये, सिंचाई के लिए 270 करोड़ रुपये, पशु पालन के लिए 743.40 करोड़ रुपये और खाद्य आपूर्ति और पेयजल आपूर्ति के लिए 210 करोड़ रुपये का मुआवजे की मांग की है।
बाल-बाल बचे
राज्य सरकार दे रही है किसानों को सिंचाई के लिए सस्ता डीजलबारिश के बिना खेती की लागत बढ़कर हुई 2000 रु. प्रति हेक्टेयरराज्य सरकार ने ऊर्जा आपूर्ति के लिए मांगे 1007.50 करोड़ (BS Hindi)
21 अगस्त 2009
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