मुंबई August 23, 2009
रबी (जाड़े) के मौसम में होने वाली फसलों का कुल उत्पादन खरीफ में होने वाले कुल खाद्यान्न उत्पादन से ज्यादा हो सकता है। 2002-03 में पड़े सूखे के बाद ऐसा पहली बार होगा।
सामान्य मॉनसून की स्थिति में रबी मौसम में प्रमुख योगदान गेहूं और सरसों का होता है। इनकी हिस्सेदारी कुल वार्षिक उत्पादन में 40 प्रतिशत होती है। खरीफ की फसलों में मुख्य फसल धान, सोयाबीन आदि हैं, जिनका कुल वार्षिक उत्पादन 60 प्रतिशत है। भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 17 प्रतिशत है, जो करीब 33.4 लाख करोड़ रुपये आता है।
ऐसा अनुमान इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है, क्योंकि बारिश में 27 प्रतिशत की कमी की वजह से खरीफ मौसम में बुआई के क्षेत्रफल में कमी आई है। दीर्घावधि के लिहाज से देखें तो उम्मीद की जा रही है कि रबी मौसम की प्रमुख फसल गेहूं की बुआई पहले शुरू हो सकती है।
इस तरह से चालू मानसून में जमीन में नमी और परती पड़ी जमीन की ऊर्वरा शक्ति के साथ साथ गेहूं और तिलहन की बुआई के क्षेत्रफ ल में भी पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी होगी। कृषि मंत्रालय के अनुमानों के मुताबिक खरीफ की फसलों में 5 प्रतिशत के नुकसान का मतलब यह हुआ कि करीब 28,000 करोड़ रुपये के चावल, मूंगफली, गन्ने और संभवतया दालों का नुकसान होगा।
अगर खरीफ की प्रमुख फसल चावल का 10 प्रतिशत नुकसान जाता है तो इसका मतलब हुआ कि करीब 80-90 लाख टन चावल का नुकसान होगा, जिसकी कीमत प्राथमिक गणना के मुताबिक 10,000 करोड़ रुपये आती है।
बहरहाल, वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि खरीफ की बुआई पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत कम हो सकती है। सबसे ज्यादा गिरावट चावल की बुआई में (22 प्रतिशत), 2-10 प्रतिशत की गिरावट गन्ने, दालों और तिलहन में आई है।
नॉलेज मैनेजमेंट के प्रमुख और मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि रबी की फसलों के अधिक उत्पादन में खरीफ के मौसम में हुए फसलों के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती है। 12 अगस्त को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान मॉनसून की आंशिक वापसी से बारिश में हुई 29 प्रतिशत की कमी का आंकड़ा कुछ नीचे आया है। और यह 19 अगस्त को 26 प्रतिशत हो गया है।
12 अगस्त को 171 जिले (कुल 626 में) सूखे से प्रभावित घोषित हो गए। अल नीनो के असर के चलते जुलाई के मध्य और अगस्त में बारिश उत्साहजनक नहीं रही। यहां तक कि सरकार के मौसम विभाग ने मॉनसून के अनुमानों में संशोधन करते हुए सामान्य से 87 प्रतिशत बारिश का आंकड़ा दिया है, जो पहले 93 प्रतिशत था।
मॉनसून में देरी की वजह से पूरे देश में सूखे की स्थिति हो गई क्योंकि बारिश 10 प्रतिशत कम हुई। वहीं स्टैंडर्ड चार्टर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक देश के 20 प्रतिशत इलाकों में 25 प्रतिशत कम बारिश हुई है। पिछली बार जब सूखा पड़ा था तो खरीफ की फसलों का कुल क्षेत्रफल केवल 7.6 प्रतिशत गिरा था, लेकिन उत्पादन में 22 प्रतिशत की गिरावट आई थी, क्योंकि बोई गई फसल सूखे की चपेट में आ गई।
कृषि आधारित जीडीपी घटकर करीब 6 प्रतिशत रह गया। इस परिणाम को देखते हुए वर्तमान बुआई के क्षेत्रफल में भी उत्पादन में कमी की आशंका है। हालांकि अध्ययन में कहा गया है कि कुछ ऐसे भी तत्व हैं, जिनसे उम्मीद बरकरार है और नुकसान की संभावना कम है।
पिछले 42 साल में 2002-03 ही ऐसा साल था जब रबी की फसलों का उत्पादन खरीफ की फसलों की तुलना में ज्यादा रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसे देखते हुए यह महत्वपूर्ण है कि कुल कृ षि उपज में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें