26 अगस्त 2009
देश सूखे से निपटने में सक्षमः मुखर्जी
नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि देश के बड़े हिस्से में खराब मानसून के कारण पड़े सूखे के प्रभाव को सीमित करना सरकार की पहली प्राथमिकता है। उन्होंने आश्वस्त किया कि देश के पास खाद्यान का पर्याप्त भंडार है और ऐसे हालात में भी भारतीय अर्थव्यवस्था छह प्रतिशत से ऊपर की विकास दर हासिल करेगी। शीर्ष उद्योगपतियों की एक बैठक में मुखर्जी ने कहा,"इस समय देर से आए मानसून ने देश के अधिकांश क्षेत्रों में कृषि अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। कमजोर मानसून के प्रभाव को सीमित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।"वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष (जुलाई 2008-जून 2009) खाद्यान्न के रिकार्ड 23.387 करोड़ टन उत्पादन की सहायता से इस वर्ष सूखे के मुकाबले के लिए देश के पास पर्याप्त अनाज भंडार है। सामान्य तौर पर गेहूं के 40 लाख टन और चावल के 52 लाख टन सुरक्षित भंडार के साथ ही देश ने 30 लाख टन गेहूं और 20 लाख टन चावल का अतिरिक्त भंडारण किया है।मुखर्जी ने देश की संपूर्ण अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि वैश्विक मंदी के बावजूद पिछले वित्तीय वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई और कठिन स्थिति के बावजूद इस वर्ष छह प्रतिशत से ऊपर की विकास दर कायम रखी जाएगी।अपने आशावाद के कारणों को बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि औद्योगिक क्षेत्र के रफ्तार पकड़ने के संकेत दिखाई देने लगे हैं। पूंजीगत वस्तुओं की मांग में वृद्धि हो रही है। टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में पहली तिमाही में बेहतर वृद्धि देखी गई है।उन्होंने कहा कि सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक कर्ज प्रवाह को बिना अवरोध के जारी रखने के लिए निरंतर एक-दूसरे के संपर्क में हैं।मुखर्जी ने कहा कि सरकार वित्तीय स्थिति को सही दिशा में लाने पर जोर दे रही है और वैश्विक वित्तीय संकट के प्रभाव को कम करने के लिए आवश्यकतानुसार प्रोत्साहन पैकेज दे सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के लिए वित्तीय सु़धारों की योजना तैयार होगी। 13वें वित्त आयोग की शीघ्र आने वाली रिपोर्ट में यह शामिल होगी।
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