August 21, 2009
खरीफ के मौसम में इस साल बारिश ने खूब रुलाया और इस दौरान बारिश में 27 प्रतिशत की कमी रही। देश के 246 जिले अब तक सूखे की चपेट में आ गए हैं।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ही मुख्य एजेंसी है, जो बारिश का अनुमान लगाती है। खरीफ में कम बारिश और अनुमान सही न होने की वजह से आईएमडी को आलोचना भी झेलनी पड़ रही है।
इस साल इस कदर बदलाव आए कि विभाग को अपने अनुमान में दो बार बदलाव करने पड़े। आईएमडी के निदेशक अजीत त्यागी ने बारिश के अनुमान के विभिन्न पहलुओं पर अजय मोदी से बातचीत की। पेश हैं खास अंश
आईएमडी की शुरुआती भविष्यवाणी थी कि इस साल दक्षिण पश्चिमी मॉनसून 96 प्रतिशत रहेगा। बहरहाल अब दो बार संशोधन कर बारिश के अनुमानों को कम किया गया। आखिर गलती कहां हुई?
मौसम के बारे में कोई भी अनुमान आईएमडी उपलब्ध ताजा आंकड़ों के आधार पर करता है। स्थितियां बदलने के साथ इसमें बदलाव आता है। इस साल शुरू से ही संकेत मिल रहे थे कि वैश्विक कारणों से मॉनसून सामान्य से नीचे रहेगा। यही हमने अप्रैल में अनुमान लगाया था।
जून में अल नीनो प्रभाव के चलते अनुमान में बदलाव करना पड़ा और उसे संशोधित कर 93 प्रतिशत किया गया। इसी महीने में बंगाल की खाड़ी में आए आइला तूफान की वजह पहले आए मॉनसून में भी मध्य भारत में 23 सप्ताह की देरी हो गई। इसके बाद हमें एक बार फिर अनुमान बदलने पड़े।
मौसम का अनुमान लगाने में आईएमडी कौन सा मॉडल अपनाता है? क्या और कोई मॉडल उपलब्ध है?
वर्तमान में हम सांख्यिकीय मॉडल अपना रहे हैं। इस साल सांख्यिकीय मॉडल ने डायनामिकल मॉडल की तुलना में बेहतर काम किया- जो अन्य विकल्प है। सभी डॉयनामिकल मॉडल बता रहे थे कि इस साल सामान्य या सामान्य से ज्यादा बारिश होगी। बहरहाल सांख्यिकीय मॉडल से अनुमान लगा कि मॉनसून सामान्य से कम रहेगा। लेकिन मेरा मानना है कि भविष्य में डायनामिकल मॉडल बेहतर काम करेगा।
क्या आप मानते हैं कि गर्मी के मॉनसून में कमी की वजह से रबी की फसल भी प्रभावित होगी, जिसकी बुआई नवंबर और उसके बाद शुरू होती है?
अगर पानी कम बरसता है तो मिट्टी में नमी कम रहेगी और इससे उत्पादकता प्रभावित होगी। हम सितंबर में होने वाली बारिश की मात्रा पर नजर रख रहे हैं, जो बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। हम अब सामान्य की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन जो कमी आई है वह अभी भी बनी हुई है। बहरहाल जाडे में होने वाली बारिश का गर्मी की बारिश से कोई सह-संबंध नहीं है।
इस समय मैडेन जूलियन ऑस्सिलेशन (एमजेओ) के बारे में बात हो रही है, जिससे मॉनसून की वापसी हो सकती है। क्या इसका हकीकत से कोई संबंध है?
एमजेओ सत्र के मुताबिक विभिन्नता का एक हिस्सा है। यह इसकी सक्रियता पर निर्भर करता है कि मॉनसून पर इसका कितना सकारात्मक असर पड़ेगा। गर्मी की बारिश में कमी, जो अब 27 प्रतिशत हो चुकी है, 3-5 प्रतिशत कम हो सकती है-अगर ऐसा होता है।
एक विचार यह भी है कि मॉनसून का अनुमान छोटे-छोटे इलाकों के आधार पर कम अवधि के लिए लगाया जाना चाहिए। क्या आईएमडी इस पर काम कर रहा है?
हां। हम वर्तमान में जिले स्तर पर भविष्यवाणी करते हैं। अगले वर्ष और उसके बाद सभी क्षेत्रीय मौसम केंद्र हाई रिजॉल्यूशन फोरकॉस्ट मॉडल्स के आधार पर काम करेंगे। तब गांव स्तर पर बारिश के बारे में अनुमान लगाया जा सकेगा।
क्या आईएमडी अपनी सुविधाएं बढाने के लिए अत्याधुनिक उपकरण हासिल करने पर खर्च कर रहा है?
हम देश भर में 550 स्वचालित मौसम स्टेशन स्थापित करने की तैयारी में हैं। नई दिल्ली कार्यालय में उच्च क्षमता वाले गणक लगाए गए हैं। इन सबसे अनुमानों में सुधार करने में मदद मिलेगी। (BS Hindi)
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