31 अगस्त 2009
विदेशों में भाव तेज होने से नई कपास का निर्यात बढ़ेगा
राजस्थान और पंजाब में नई फसल की आवक शुरू होने से कपास के भावों पर दबाव बनने लगा है। यह देखते हुए कपास की कीमतों में अब और नरमी आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। पिछले सप्ताह वायदा और हाजिर में कपास की कीमतों में गिरावट की धारण मजबूत हुई है। इस बीच राजस्थान में नई कपास के भाव भी पिछले वर्ष के मुकाबले नीचे खुले हैं। दरअसल, कपास की कीमतों में नरमी का रुख बनने का मुख्य कारण इस साल कपास की पैदावार पिछले वर्ष के मुकाबले करीब पांच फीसदी बढ़ने और निर्यात कम होना भी है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक इस साल देश में करीब 99 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई का अनुमान है जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले पांच फीसदी ज्यादा होगी। कॉटन कारपोरशन ऑफ इंडिया ने भी अक्टूबर से शुरू होने वाले नए सीजन में कपास उत्पादन करीब 310 लाख गांठ (170 किलो) होने का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले सीजन में 290 लाख गांठ की पैदावार हुई थी। हालांकि व्यापारिक अनुमान इससे मेल नहीं खा रहे हैं। व्यापारिक समुदाय का मानना है कि इस साल कपास का रकबा जरूर बढ़ा है, लेकिन कमजोर मानसून के चलते उत्पादन पिछले वर्ष के आसपास ही बैठेगा। गौरतलब है कि पिछले वर्ष देश में प्रति हैक्टेयर 526 किलो कपास की पैदावार हुई थी जो एक साल पहले के मुकाबले कम थी। इस साल भी उत्पादकता में कमी की आशंका है। अगर व्यापारिक अनुमान सही बैठते हैं तो इस साल कपास की पैदावार 290 से 300 लाख गांठ के बीच होगी। वहीं करीब साठ लाख गांठ कपास का कैरी फॉरवर्ड स्टॉक बचेगा। इस लिहाज से नए सीजन में देश में 350 से 360 लाख गांठ कपास की उपलब्ध होने का अनुमान है। अगले सीजन में भी निर्यात में सुधार की संभावना कम है क्योंकि पिछले साल एमएसपी में चालीस फीसदी बढ़ोतरी से भारतीय कपास अंतरराष्ट्रीय भावों की तुलना में 12 से 15 फीसदी महंगी है। इस कारण कपास निर्यात में बढ़ोतरी की उम्मीद करना बेमानी है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में कपास की मांग में सुधार देखने को मिल सकता है। लेकिन भाव पहले से ही ऊंचे होने के कारण कीमतों में सुधार की गुंजाइश कम है। उल्लेखनीय है कि एमएसपी में बढ़ोतरी से इस साल किसानों का रुझान कपास की पैदावार में बढ़ा है। दूसरी तरफ आर्थिक सुस्ती और भारतीय कपास महंगी पड़ने के कारण निर्यात करीब 40 फीसदी घटने की आशंका है। इन सब कारणों के साथ नई फसल की आवक से पिछले सप्ताह हाजिर बाजार में कॉटन (रुई) के भाव लगभग 325 रुपये घटकर महाराष्ट्र में 23600 रुपये कैंडी (273 किलो) तक उतर गए हैं। वहीं एनसीडीईएक्स में भी फरवरी वायदा में भी कपास के भाव करीब तीन फीसदी की गिरावट से 2662 रुपये क्विंटल रह गए हैं। (बिज़नस भास्कर)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें