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20 अगस्त 2009

अल नीनो ने बिगाड़ा मॉनसून का मिजाज

पुणे August 18, 2009
इस साल पूरे देश में बारिश कम हुई है, जिसकी प्रमुख वजह अल नीनो प्रभाव है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) और इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटीएम) के विशेषज्ञों अब स्वीकार किया है कि इस साल प्रशांत महासागर के मध्य हिस्से में उठे अल नीनो का प्रभाव मॉनसून पर पड़ा है।
लेकिन उन्होंने यह भी माना है कि अल नीनो प्रभाव के चलते ही पूर्वोत्तर भारत में मॉनसून की स्थिति बेहतर हुई है, जिसे रिवर्स मॉनसून के रूप में जाना गया। अल नीनो मौसम की एक स्थिति है, जो वैश्विक रूप से बारिश में कमी और सूखे जैसी स्थिति के लिए जिम्मेदार माना जाता है।
विश्व मौसम संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने जून महीने में भविश्यवाणी की थी कि प्रशांत महासागर क्षेत्र में गर्म अल नीनो हवाओं के चलते भारत का मॉनसून प्रभावित हो सकता है। उस समय आईएमडी ने इसे खारिज कर दिया था। जुलाई और अगस्त महीने में कमजोर मॉनसून के बाद आईएमडी ने डब्ल्यूएमओ के अल नीनो से संबंधित भविश्यवाणी को स्वीकार लिया है। आईएमडी का यह भी मानना है कि अल नीनो के प्रभाव के चलते ही शायद 2002-03 के बाद भारत का मॉनसून सबसे ज्यादा खराब रहा है।
नैशनल क्लाइमेट सेंटर, आईएमडी पुणे के निदेशक डॉ. एस पई ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'जुलाई के चौथे सप्ताह में सूखा और मॉनसून के खराब प्रदर्शन और उसके बाद बारिश में कमी अल नीनो के चलते हुआ। इसका विकास प्रशांत महासागर के मध्य भागों में हुआ। हम मानते हैं कि केंद्रीय और उत्तरी हिस्सों में सूखे की स्थिति अल नीनो के चलते हुई। उम्मीद है कि यह स्थिति अक्टूबर के अंत तक रहेगी।'
अल नीनो के प्रभाव से बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई। ये इलाके मॉनसूनी बारिश की कमी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए और इन्हें पूर्वोत्तर मॉनसून या रिवर्स मॉनसून का फायदा नहीं मिला।
आईआईटीएम पुणे के एक शोधकर्ता प्रो. कृष्ण कुमार ने कहा कि जून महीने में बारिश की कमी के कारणों के बारे में हम अभी कुछ स्पष्ट जानकारी हासिल नहीं कर पाए हैं। लेकिन जुलाई और अगस्त महीने में कमजोर मॉनसून की प्रमुख वजह अल नीनो प्रभाव ही है।
एक तरफ जहां दक्षिण पश्चिम मॉनसून पर अल नीनो का बुरा प्रभाव पड़ा, उत्तर पूर्व मॉनसून पर इसका सकारात्मक प्रभाव नजर आता है। यह विकास आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और महाराष्ट्र के मध्य भाग और मध्य प्रदेश के लिए बेहतर रहा।
पई ने कहा, 'रिवर्स मॉनसून की प्रगति में अल नीनो ने मदद की। खासकर भारत के दक्षिणी राज्यों में इसके चलते भारी बारिश हुई। रिवर्स मॉनसून की शुरुआत अक्टूबर और उसके बाद होती है और इसका पूरा प्रभाव अभी देखा जाना है।'
कृष्ण कुमार भी पई का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा अल नीनो ने पहले ही वार्षिक वर्षा पर बुरा प्रभाव डाला है और अब इस प्रभाव के कम होने की उम्मीद कम ही है। बहरहाल हम मानते हैं कि उत्तर पूर्व मॉनसून को अल नीनो से मदद मिलेगी और इसके बेहतर परिणाम आएंगे। कुमार ने कहा कि महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, पूर्वी मध्य प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के रॉयल सीमा में उत्तर पूर्व मॉनसून से अच्छी बारिश हो सकती है। (BS Hindi)

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