नई दिल्ली : सोने की कीमतें भले ही 15,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर पर बनी हुई हैं लेकिन इस साल की दूसरी तिमाही में देश में सोने की मांग में पहली तिमाही के मुकाबले खासी तेजी देखने को मिली है। साल की पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में ज्वैलरी और रीटेल इनवेस्टमेंट समेत सोने की कुल खरीद में 500 फीसदी से ज्यादा का इजाफा देखा गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस दौरान देश के शेयर बाजारों में भी तेजी का दौर रहा है, जबकि ऐतिहासिक रूप से सोने की कीमतें और शेयर बाजार के सूचकांक एक-दूसरे से उलटी दिशा में चलते हैं। इस बारे में जब ईटी बाजार के विश्लेषकों से बातचीत की तो उन्होंने डॉलर में जारी कमजोरी और अमेरिकी शेयर बाजारों में फिर से पैदा हो रही तेजी को इसकी अहम वजह बताया।
एसएमसी ग्लोबल के वाइस प्रेसिडेंट राजेश जैन के मुताबिक, 'सोना इस वक्त इक्विटी बाजार से ज्यादा डॉलर की वैल्यू के लिहाज से चल रहा है। डॉलर में पिछले कुछ वक्त से गिरावट बनी हुई है और इस वजह से लोग करेंसी में निवेश के जोखिम से बचने के लिए सोने में पैसा लगा रहे हैं।' जैन कहते हैं, 'खास बात यह है कि पिछले साल अगस्त से ही घरेलू शेयर बाजार और सोने में समान ट्रेंड बना हुआ है। भारतीय बाजार इस वक्त अमेरिकी शेयर बाजारों की तर्ज पर चल रहे हैं।' 31 मार्च को सेंसेक्स 9,708 अंक पर बंद हुआ था। उसके बाद से अब सेंसेक्स 15,000 के आंकड़े के इर्द-गिर्द बना हुआ है। इस तरह से सेंसेक्स में पिछले तीन-चार माह में करीब 55 फीसदी की तेजी आ चुकी है। इसी दौरान सोने में निवेश के लिए की जाने वाली खरीदारी में भी तेजी दिखी। पहली तिमाही में देश में सोने की निवेश मांग करीब 17।7 टन रही थी, जो कि दूसरी तिमाही में बढ़कर 109 टन हो गई है। एंजेल ब्रोकिंग के कमोडिटी हेड अमर सिंह का कहना है कि निवेशकों में सोने की कीमतों के ऊपर जाने पर इसके प्रति आकर्षण पैदा होता है। अमर सिंह के मुताबिक, 'भारत में भी पिछले कुछ वक्त में सोने के सिक्कों और बार में निवेश का ट्रेंड बढ़ा है। डॉलर की कमजोरी घरेलू बाजार में भी सोने की मांग को तय कर रही है। इसके अलावा दूसरी तिमाही में अक्षय तृतीया की वजह से भी मांग बढ़ी है।' सिंह के मुताबिक, 'भारत में चुनाव बाद सरकार के गठन और अमेरिका में बाजारों में निवेशकों के लौटते भरोसे ने शेयर बाजारों और सोने दोनों में निवेश को रफ्तार दी है।' बोनांजा ब्रोकिंग के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट विभुरतन धारा के मुताबिक, 'इस वक्त सोने की मांग और कीमतें ग्लोबल बाजार के हिसाब से चल रही है। कीमतों के ऊंचे बने होने के बावजूद लोग अपनी सरप्लस पूंजी गोल्ड खरीदने में लगा रहे हैं। लेकिन ज्वैलरी के मुकाबले लोग अब बार और सिक्कों को निवेश के लिए तरजीह दे रहे हैं। ज्वैलरी वही खरीद रहे हैं जिन्हें इसकी शादी वगैरह की वजह से जरूरत है।' (इत हिन्दी)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें