मुंबई : छह विदेशी फंड एमसीएक्स स्टॉक एक्सचेंज (एमसीएक्स-एसएक्स) में 5-5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। इस घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों ने ईटी को बताया कि इनमें निजी इक्विटी फंड जनरल अटलांटिक एवं फिडेलिटी, हेज फंड टीपीजी-एक्सॉन, सीएमई, अबूधाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी (एडीआईए) और सिंगापुर के सॉवरेनल वेल्थ फंड टेमासेक की ग्रुप कंपनी शामिल है। डोएचे बैंक, नोमुरा फाइनेंशियल एडवाइजरी और एंटीक कैपिटल मार्केट एमसीएक्स-एसएक्स को विनिवेश की सलाह दे रहे हैं। हालांकि, एमसीएक्स के प्रवक्ता ने इसके बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। एमसीएक्स-एसएक्स के प्रमोटर फाइनेंशियल टेक्नोलॉजीज और कमोडिटी एक्सचेंज एसीएक्स हैं। इसको पिछले साल अक्टूबर में सेबी से करेंसी फ्यूचर में कारोबार के लिए इजाजत मिली है।
एक्सचेंज को फ्यूचर कारोबार का लाइसेंस इसी शर्त पर दिया गया है कि एक साल के भीतर इसके प्रमोटर अपनी हिस्सेदारी घटाएंगे। एमसीएक्स-एसएक्स ने इक्विटी कारोबार शुरू करने के लिए भी इजाजत मांगी है जो अभी लंबित है। विनिवेश के बारे में चल रही बातचीत से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सीएमई ग्रुप ने एमसीएक्स-एसएक्स के अलावा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स में भी हिस्सेदारी खरीदने का प्रस्ताव रखा है। एमसीएक्स समूह भी इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। एमसीएक्स देश का सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज है और इसमें औसत दैनिक कारोबार 20,000 करोड़ रुपए का होता है। इस एक्सचेंज पर बहुमूल्य धातुओं एवं बेस मेटल और ऊर्जा का कारोबार होता है। एसीएक्स-एसएक्स के प्रमोटर ने अपनी 30 फीसदी तक की हिस्सेदारी कई सार्वजनिक एवं निजी बैंकों और कुछ संस्थाओं को बेची है, लेकिन दोनों प्रमोटरों को अपनी हिस्सेदारी पूरी तरह घटाते हुए सिर्फ 15 फीसदी तक लानी है क्योंकि नियम के मुताबिक किसी स्टॉक एक्सचेंज में प्रमोटर की हिस्सेदारी 15 फीसदी तक ही रह सकती है। बातचीत की प्रक्रिया की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया, 'एक बार विनिवेश प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो एमसीएक्स-एसएक्स के लिए इक्विटी फ्यूचर एवं ऑप्शन (एफएंडओ) और अन्य सभी सेगमेंट में उतरना आसान हो जाएगा।' आईडीएफसी-एसएसकेआई की हाल की एक रिपोर्ट में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का वैल्यूएशन 250 करोड़ डॉलर और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का वैल्यूएशन 80 करोड़ डॉलर किया गया है। फिलहाल के नियमों के अनुसार कोई एक व्यक्ति आम सहमति वाले अन्य लोगों के साथ किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में अधिकतम 5 फीसदी हिस्सेदारी रख सकता है। लेकिन एक्सचेंजों में प्रतिस्पर्धा कायम रखने के लिए सेबी ने अक्टूबर, 2008 में तय किया कि छह श्रेणी के शेयरधारकों के लिए किसी एक्सचेंज में अधिकतम निवेश सीमा बढ़ाकर 15 फीसदी तक कर दी जाए। इन छह श्रेणियों में सार्वजनिक वित्तीय संस्थान, स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटर, क्लियरिंग कॉरपोरेशन, बैंक और बीमा कंपनियां शामिल हैं। (इत हिन्दी)
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