कानपुर August 30, 2009
भारतीय किसान कृषि की तुलना अक्सर जुए से करते हैं।
यह पुरानी कहावत इस साल सटीक बैठती है, क्योंकि पिछले साल जहां आलू की पैदावार कमजोर रहने से करीब आधा दर्जन किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पडा था, वहीं इस साल आलू किसानों के जख्म पर मरहम लगाता दिखाई दे रहा है।
मॉनसून के इस साल कमजोर रहने से हजारों हेक्टेयर धान की फसलों को नुकसान पहुंचा है, जिससे किसान बड़े मायूस नजर आ रहे हैं। लेकिन, इधर हाल के दिनों में आलू की कीमतों में आई बढ़ोतरी कई किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है।
पिछले एक सप्ताह के दौरान हुई बारिश से आलू की कीमतें प्रति क्विंटल 1200-1500 रुपये पहुंच गई हैं। ऐसे कि सान जो अपने आलू के अतिरिक्त उत्पादन का शीत भंडारण (कोल्ड स्टोरेज) करते हैं, कीमतें बढ़ने से उनकी चांदी हो गई है। कम बारिश की वजह से हुए अपने नुकसान की भरपाई वे कोल्ड स्टोरेज में पड़े आलू को बेचकर कर रहे हैं।
आलू की कीमतों में आई उछाल को देखते हुए ऐसे किसान जिनकी फसल को कमजोर मॉनूसन की वजह से नुकसान पहुंचा है, वे पिछले सप्ताह हुई बारिश का फायदा उठाकर आलू की खेती करने में जुट गए हैं।
भारतीय किसान यूनियन के क्षेत्रीय सचिव राज कुमार सिंह का कहते हैं 'चूंकि, धान की बुआई का समय समाप्त हो चुका है, हम अभी भी परिपक्वता अवधि से पहले तैयार होने वाले आलू की खेती कर सकते हैं।'
केंद्रीय आलू शोध संस्थान (सीपीआरआई) के निदेशक एके पांडेय का कहना है कि घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि किसानों के आलू की खेती की तरफ रुख करने से कुल उत्पादन के रकबे में काफी बढ़ोतरी हुई है।
पांडेय ने कहा कि आलू कीआपूर्ति कम होने से कीमतों में और ज्यादा तेजी आ सकती है। इस समय आलू की बाजार में मौजूदा कीमत 1200-1500 रुपये प्रति क्विंटल है। इधर नैशनल हॉर्टीकल्चर ऐंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) ने कहा कि इस साल आलू के रकबे में 8 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। आगरा के एक आलू किसान ने कहा कि अगले दो से तीन महीनों में आलू की कीमत में और ज्यादा बढ़ोतरी की संभावना है।
मुनाफे का तरीका
जो किसान अपने आलू कोल्ड स्टोरेज में रखते हैं, कीमतों में बढ़ोतरी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं।पिछले दिनों हुई बारिश का फायदा उठाते हुए किसानों ने आलू की खेती की तैयारी भी शुरू कर दी है।किसानों के रुझान बता रहे हैं कि बढ़ेगी आलू की उपज। (बीएस हिन्दी)
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