नई दिल्ली August 28, 2009
कमजोर मॉनसून और इस साल खरीफ फसलों की पैदावार कम रहने के अनुमानों के बावजूद कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं के निर्यात में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय की इकाई कृषि और प्रसंस्कृत उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) के अनुसार प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इन वस्तुओं के निर्यात में बढ़ोतरी की संभावना है।
हालांकि, इस समय दाल, गेहूं और गैस-बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगी हुई है, लेकिन इसके बावजूद बासमती चावल, ताजा फल और सब्जियों, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और मांस का निर्यात में बढ़ोतरी में महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।
पिछले साल निर्यात में इन वस्तुओं का काफी योगदान रहा था। मिसाल के तौर पर वर्ष 2008-09 में ताजे फल और सब्जियों के निर्यात में 128 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 5,569 करोड रुपये रहा था। इसी साल प्रसंस्कृत फल का निर्यात 25 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 9,119 करोड रुपये दर्ज किया गया था। मांस के निर्यात में भी पिछले साल 44.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। गैर-बासमती चावल का निर्यात 11,162 करोड रुपये के साथ रिकॉर्ड स्तर पर रहा था।
एपीईडीए के अध्यक्ष त्रिपाठी ने कहा 'मेरे हिसाब से यह कठिन साल रहा है। उत्पादन काफी कम रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अभी भी वांछित सुधार नहीं हुआ है। हालांकि, अपर्याप्त बारिश की वजह से खरीफ फसलों का उत्पादन प्रभावित होने के बावजूद भी निर्यात में कम से कम 25 फीसदी की बढ़ोरती होनी चाहिए।' देश के कुल मर्चेंडाइज निर्यात में कृषि आधारित वस्तुओं की हिस्सेदारी 10 फीसदी होती है। (बीएस हिन्दी)
29 अगस्त 2009
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