25 अगस्त 2009
विदेश में तेजी के बावजूद घरेलू बाजार में खाद्य तेल नरम
विदेश में तेजी के बाद भी घरेलू बाजार में खाद्य तेलों में नरमी देखी जा रही है। चालू महीने में शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबोओटी) में दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में करीब 9.5 फीसदी और बुर्सा मलेशिया डेरिवेटिव एक्सचेंज (बीएमडी) में नवंबर महीने के वायदा अनुबंध में लगभग 12 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। घरेलू बाजारों में इस दौरान खाद्य तेलों में तीन से चार फीसदी की गिरावट आई है। चालू तेल वर्ष में खाद्य तेलों के आयात में 55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, इसीलिए देश के अधिकांश हिस्से में सूखे जैसे हालात बनने के बाद भी खाद्य तेलों में तेजी नहीं बन पा रही है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी.वी. मेहता ने बताया कि मानसून की कमी से आंध्रप्रदेश में मूंगफली की बुवाई में कमी आई है। गुजरात में भी पिछले दिनों तो अच्छी बारिश हुई थी, लेकिन इस समय फसल को पानी की जरूरत है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में पिछले एक सप्ताह में हुई बारिश से सोयाबीन की फसल को काफी फायदा हुआ है। अभी तक के मौसम को देखते हुए चालू खरीफ सीजन में तिलहनों के उत्पादन में चार-पांच लाख टन की कमी आ सकती है। कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी बुवाई आंकड़ों के मुताबिक तिलहनों की बुवाई 164.15 लाख हैक्टेयर के मुकाबले 152.47 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। चालू तेल वर्ष (नवंबर-08 से जुलाई-09) के दौरान देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 64.19 लाख टन का हो चुका है। जबकि पिछले साल इस दौरान 41.38 लाख टन का ही आयात हुआ था। आयात में भारी बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा होने के कारण ही घरेलू बाजारों में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। सीबीओटी में दिसंबर महीने के वायदा अनुबंध में 29 जुलाई को भाव 33.78 डॉलर प्रति बुशल थे जोकि 21 अगस्त को बढ़कर 36.94 डॉलर प्रति बुशल हो गये। (bsuiness Bhaskar....R S Rana)
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