मुंबई : दिवाली और धनतेरस पर अगर आप सोने का सिक्का बैंक के बजाय ज्वैलरी शॉप से खरीदें तो वह आपको 5-7 फीसदी सस्ता पड़ेगा। त्योहारों के मौके पर बैंक सोने के सिक्के की जबरदस्त मार्केटिंग करते हैं। आम लोगों के अलावा बैंकों की नजर कंपनियों पर भी होती है, जो गिफ्ट आइटम के तौर पर इसका इस्तेमाल करते हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को ही पता है कि बैंक के मुकाबले ज्वैलर्स के यहां सोने का सिक्का 5-7 फीसदी सस्ता पड़ता है। इसकी वजह यह है कि बैंक विदेश से सोने के सिक्कों का आयात करते हैं। इस पर उन्हें कस्टम ड्यूटी, वैट, सिक्के की निर्माण लागत चुकानी पड़ती है। यही नहीं बैंक सोने के सिक्के पर ज्वैलर के मुकाबले मार्जिन भी ज्यादा वसूलते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के मुताबिक बैंक बेचे गए सिक्कों को वापस नहीं खरीद सकते। इससे भी उन्हें मुश्किल होती है।
मिसाल के तौर पर मंगलवार को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के 10 ग्राम सिक्के की कीमत 16,286 रुपए थी। वहीं मुंबई के जावेरी बाजार के ज्वैलरी शॉप तिलोकचंद जावेरी में इसी सिक्के की कीमत 15,400 रुपए थी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मुकाबले यह 5।5 फीसदी सस्ता है। मंगलवार को एसबीआई में 10 ग्राम सोने के सिक्के की कीमत 16,500 रुपए थी। एक बड़े सरकारी बैंक के बुलियन डेस्क के अधिकारी ने बताया, '10 ग्राम सोने के सिक्के पर 206 रुपए की कस्टम ड्यूटी लगती है। इसकी निर्माण लागत 5-10 डॉलर हो सकती है और एक फीसदी वैट देना पड़ता है। सिक्के पर बैंक 6-25 फीसदी का प्रॉफिट मार्जिन भी वसूलते हैं।' वहीं सोने का जो सिक्का आपने पिछले साल इसकी कीमत कम होने पर ज्वैलर से खरीदा था, उसे अब इसके महंगा होने पर वापस बेच सकते हैं। आपसे पुराना सिक्का खरीदने वाला ज्वैलर उसे मौजूदा भाव पर दूसरे ग्राहक को बेच सकता है। साथ ही वह सिक्के पर सिर्फ 100-200 रुपए का ही मार्जिन रखता है। ज्वैलरों का कहना है कि आम ग्राहक भी इस बारे में जागरूक हो रहे हैं। कई लोग बैंक के बजाय सोने का सिक्का ज्वैलरों से खरीद रहे हैं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, केनरा बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक दुनिया के सबसे बड़े स्वतंत्र रिफाइनर पीएएमपी से सोने के सिक्के का आयात करते हैं। यह स्विट्जरलैंड की कंपनी है। (इत हिन्दी)
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