27 अगस्त 2009
दूसरे देशों की पैदावार पर निर्भर होंगे बासमती के दाम
खरीफ सीजन के दौरान बासमती धान के रकबे में बढ़ोतरी होने की संभावना है। लेकिन सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमईपी) घटाए जाने से इसका निर्यात बढ़ सकता है। ऐसे में बासमती चावल की नई फसल आने पर मूल्य दूसरे देशों की पैदावार के अनुरूप तय होगा। बीते एक सप्ताह के दौरान घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतों में वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय राजधानी की खारी बावली स्थित ग्रेन बाजार में बासमती चावल के दाम 7500-9000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। बीते एक सप्ताह के दौरान इनकी कीमतों में 200 रुपये प्रति क्विंटल तक का इजाफा हो चुका हैं।दिल्ली ग्रेन मर्चेट एसोसिएशन के सचिव और चावल कारोबारी सुरेंद्र कुमार गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि बासमती धान के रकबे में बढ़ोतरी होने से आगामी सीजन में बासमती चावल के दाम कम रहने के आसार हैं। कीमतों में कितनी गिरावट आएगी, इस बारे में फिलहाल कुछ कहना जल्दबाजी होगा। दरअसल बासमती चावल के धान का दाम अधिक मिलने के कारण किसानों ने इस बार इसकी बुवाई अधिक की है। अगले सीजन में बासमती चावल के मूल्यों के बारे में दिल्ली व्यापार महासंघ के चैयरमेन ओमप्रकाश जैन का कहना है कि बासमती चावल के मूल्यों की दिशा काफी हद अन्य दूसरे उत्पादक देशों की फसल पर भी निर्भर करेगी। अगर दूसरे देशों में भी अच्छा उत्पादन हुआ तो इसके दाम पिछले साल नई सप्लाई के समय के भाव 6000-6500 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर से भी नीचे जा सकते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार धान के कुल रकबे में पिछले साल के मुकाबले करीब 60 लाख हैक्टेयर की कमी आई हैं। ताजा बुवाई आंकड़ों के अनुसार 20 अगस्त तक 271।83 लाख हैक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी है। पिछली समान अवधि में यह आंकड़ा 341.44 लाख हैक्टेयर था। गर्ग का कहना है कि धान के कुल रकबे में गिरावट आई है लेकिन बासमती धान की बुवाई में इजाफा हुआ है।उधर सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल के महंगा होने के निर्यात को मिल रही कड़ी टक्कर को देखते हुए एमईपी में 300 डॉलर प्रति टन की कटौती करके इसे 800 डॉलर प्रति टन कर दिया है। इससे बासमती चावल का निर्यात अधिक होने की संभावना है। ओमप्रकाश जैन के अनुसार सरकार द्वारा एमईपी घटाने से अगले सीजन में भारतीय बासमती चावल के निर्यात में और इजाफा होने की उम्मीद है। सरकारी आंकड़ा़े के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान 15 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था। जानकारों के अनुसार अगले सीजन में इसके 18-20 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है। गौरतलब है कि बीते महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय बासमती चावल के महंगा होने से इसकी निर्यात मांग में कमी आई थी। दरअसल पाकिस्तान का बासमती चावल सस्ता होने के कारण घरेलू बासमती चावल के बाजार को हथिया लिया था। (बिज़नस भास्कर)
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