चेन्नई August 24, 2009
घरेलू बाजार में मांग में बढ़ोतरी और निर्यात से अच्छी कमाई की वजह से चाय उत्पादकों के कर के बाद के लाभ में 2008-09 के 9 महीनों के दौरान 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
निर्यात के लिहाज से देखें तो भारत प्रमुख निर्यातकों में शामिल था, जिसने अपनी बाजार हिस्सेदारी केन्या और श्रीलंका के हाथों गंवा दी थी। चाय उद्योग पर आईसीआरए मैनेजमेंट कंसल्टिंग सर्विस की रिपोर्ट के मुताबिक, जिसने 43 चाय कंपनियों से नमूने लिए थे, इन कंपनियों के संयुक्त मुनाफे में वित्त वर्ष-09 के पहले 9 महीनों के दौरान 10.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
यह पिछले साल के 484.8 करोड़ रुपये की तुलना में बढ़कर 533.8 करोड़ रुपये हो गया है। कुल बिक्री में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो 2,884.6 करोड़ रुपये से बढ़कर 3,505.5 करोड़ रुपये हो गई है।
2005 और 2008 के बीच कच्चे माल की कीमतें ज्यादा होने के बावजूद संचालन मुनाफा और मार्जिन में भी बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह यह है कि औसत बिक्री ज्यादा रही है। वित्त वर्ष 2007-09 के दौरान मार्जिन में क्रमश: सुधार आया क्योंकि कर्मचारियों और संचालन लागत में मामूली बढ़ोतरी हुई।
इसके साथ ही चाय की कीमतों में भी रुपये के कमजोर होने से बढ़ोतरी हुई और अधिक निर्यात के चलते अधिक कीमतें मिलीं। इसका परिणाम यह हुआ कि जिन कंपनियों का नमूना लिया गया था, उससे मिले परिणाम के मुताबिक संचालन लाभ में 21.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के चाय उत्पादन में 3 साल में औसत 1.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ( BS Hindi)
25 अगस्त 2009
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