22 अगस्त 2009
कमजोर डॉलर से कॉपर के भाव को मिली मजबूती
डॉलर के कमजोर होने और फंडामेंटल मजबूत होने के अनुमान से लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में शुक्रवार को कॉपर के भाव एक सप्ताह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए। एलएमई में तीन महीने के डिलीवरी के सौदे 6,146 डॉलर प्रति टन रहे। ऊर्जा और निर्माण में उपयोग होने वाले कॉपर के भाव तीन फीसदी बढ़कर 6,239 डॉलर प्रति टन रहे। सिटी ग्रुप के विश्लेषक डेविड थ्रूटेल ने कहा कि मध्यम अवधि का अनुमान अभी सकारात्मक है और वित्तीय स्थितियां सुधर रही हैं। कई बड़ी खनन कंपनियां क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं और मांग बढ़ने के कारण कॉपर में सुधार हो रहा है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बाजार अब भी चीन की कमजोर पूंजी जरूरतों और मेटल की मांग पर इसके पड़ने वाले असर को लेकर चिंतित है। चीन में मनी पॉलिसी को लेकर चल रही अनिश्चितता का असर वहां के शेयर बाजारों पर भी पड़ा है और दो सप्ताह में ही चीन के शेयर बाजारों में 15 फीसदी की गिरावट रही है। एलएमई के कारोबारियों का कहना है कि यदि कॉपर की कीमतें 6,000 डॉलर बनी रहती हैं और चीन में बैंकिंग प्रणाली को लेकर चल रही अफवाहें जल्द दूर होती हैं तो कॉपर में तेजी जारी रहेगी। डॉलर का यूरो के मुकाबले दो सप्ताह के निम्नतम स्तर पर पहुंचने से कॉपर ने पिछली गिरावट की भरपाई कर ली। यूरो जोन में मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में सुधार और अर्थव्यवस्थाओं के मजबूत होने की खबरों से यूरो में जबरदस्त तेजी रही। कमजोर डॉलर ने मेटल्स को गैर अमेरिकी निवेशकों के लिए सस्ता बना दिया। शेयर बाजारों में सुधार ने भी इस तथ्य को बल दिया। लेकिन कीमतों में इस बढ़ोतरी पर ब्रेक भी लग सकता है क्योंकि कई कंपनियां अपनी खनन इकाइयों को फिर से खोल रही हैं। (Business Bhaskar)
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