गन्ने की कमी को देखते हुए उप्र की चीनी मिलों ने आगामी 15 जनवरी तक इन इकाइयों पर प्रतिबंध की मांग की
नई दिल्ली August 24, 2009
देश के दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें गुड़ और खांडसारी इकाइयों पर अगले 15 जनवरी तक प्रतिबंध लगाए जाने की मांग कर रही हैं।
यह मांग चीनी मिलों के लिए पर्याप्त मात्रा में गन्ने की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने को लेकर की गई है। राज्य में चीनी मिलों के संगठन, उत्तर प्रदेश चीनी मिल एसोसिएशन ने राज्य सरकार को इस सिलसिले में एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उस समय उत्तर प्रदेश से बाहर गुड़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने की भी मांग की गई है, जब राज्य में गन्ने की पेराई का काम चलता है।
उत्तर प्रदेश में गन्ने की पेराई सामान्य रूप से अक्टूबर में शुरू होती है और यह मार्च या अप्रैल तक चलती है। पेराई की समाप्ति गन्ने की उपलब्धता पर निर्भर होती है। उद्योग जगत यह उम्मीद कर रहा है कि अगर अगले सत्र में इस तरह के प्रतिबंध लगा दिए जाते हैं तो चीनी का उत्पादन 10 लाख टन बढ़ जाएगा। एसोसिएशन ने अपने पत्र में लिखा है, '2008-09 में राज्य में गन्ने का क्षेत्रफल करीब 21 लाख हेक्टेयर था।
उम्मीद की जा रही है कि इस साल गन्ने की बुआई का क्षेत्रफल कम होकर 18 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो करीब 16 प्रतिशत गिरा है।' वर्तमान में खांडसारी या गुड़ इकाइयों के शुरू होने के बारे में कोई प्रतिबंध नहीं है।
एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने कहा, '1989 में राज्य सरकार ने खांडसारी इकाइयों पर प्रतिबंध लगाया था। उन्हें 25 दिसंबर से पहले काम शुरू करने की अनुमति नहीं थी। देश में चीनी को लेकर मची मारामारी और बढ़ती कीमतों को ध्यान में रखकर हम उम्मीद करते हैं कि सरकार इस मसले पर सकारात्मक फैसला करेगी।'
ऐसा केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए किया गया था, जिसमें चीनी उत्पादक राज्यों से खांडसारी इकाइयों को संरक्षण दिए जाने की बाज कही गई थी, जिनका संचालन जनवरी 1980 के पहले से हो रहा है। चालू सत्र (अक्टूबर-सितंबर)में देश का कुल चीनी उत्पादन 147 लाख टन होने का अनुमान है, जिसमें पिछले साल के उत्पादन की तुलना में 45 प्रतिशत की गिरावट आई है।
उत्तर प्रदेश में भी उत्पादन 73 लाख टन से गिरकर 40.6 लाख टन रह गया है। एसोसिएशन के अनुमानों के मुताबिक अगले सत्र में भी चीनी के उत्पादन में कमी आने की आशंका है, क्योंकि राज्य के 47 जिले सूखे से प्रभावित हैं।
उद्योग जगत के अनुमान दिखाते हैं कि 1100 लाख टन गन्ने का उपयोग गुड़ जैसे उत्पादों के बनाने में होगा, जिसके प्रयोग से करीब 100 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा सकेगा। इससे आने वाले दिनों में चीनी की कमी से बचा जा सकेगा, जो वर्तमान में एक बड़े संकट के तौर पर उभरा है।
चीनी के उत्पादन में कमी की प्रमुख वजह यह है कि गन्ने का उचित दाम न मिलने और अन्य फसलों में बेहतर मुनाफा होने की वजह से किसानों ने गन्ने की खेती से मुह मोड़ लिया और देश भर में गन्ने की बुआई का क्षेत्रफल कम हो गया है।
चीनी का संकट
15 जनवरी तक खांडसारी पर प्रतिबंध से बढ़ेगा 10 लाख टन चीनी का उत्पादन पेराई के लिए गन्ने की कमी से उठी मांग, इससे पहले भी 1989 में लग चुका है (BS Hindi) प्रतिबंध
25 अगस्त 2009
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