Aug 19, 03:39 pm
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नई दिल्ली। देश के एक-तिहाई हिस्से के सूखे की गिरफ्त में आने के बाद इस खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन की कमी आने का अंदेशा है। सरकार ने इसके मद्देनजर सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] को पुख्ता करने और कीमतों पर नियंत्रण के लिए बाजार में हस्तक्षेप का फैसला किया है।
खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने आज राज्यों के खाद्य मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल धान के बुवाई क्षेत्र में लगभग 57 लाख हेक्टेयर की कमी आई है। इससे देश में चावल के उत्पादन में एक करोड़ टन की कमी आ सकती है। भारत में 2008-09 के दौरान 9. 915 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 8. 458 करोड़ टन का उत्पादन पिछले खरीफ सीजन में हुआ था।
पवार ने कहा कि चावल की खरीफ उपज में गिरावट से खाद्यान्नों के दामों में तेजी आ सकती है। उन्होंनें खाद्य मंत्रियों को कीमतों को थामने के लिए सरकार की कार्रवाई योजना की जानकारी दी। खाद्य एवं कृषि मंत्री ने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो सरकार खुले बाजार में हस्तक्षेप से हिचकिचाएगी नहीं और खुले बाजार की योजना के तहत गेहूं और चावल जारी करेगी। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार अपने भंडारण को बढ़ाने के लिए ज्यादा खरीद करेगी और किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए पीडीएस को मजबूत करेगी। (Jagran)
19 अगस्त 2009
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