नई दिल्ली August 19, 2009
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों की हालत खराब है। मॉनसून की बेरुखी से फसल में कमी का खतरा झेल रहे किसानों को अब कीड़ों ने परेशान कर दिया है।
इस इलाके में गन्ने पर हमला बोल रहे कीड़े 20 फीसदी तक फसल चौपट कर सकते हैं। किसानों के मुताबिक पहले गन्ने पर कंसला कीड़े ने हमला बोला था और अब पारिला की फौज उन पर चिपट गई है।
पारिला बेहद खतरनाक कीड़ा होता है और गन्ने का कद नहीं बढ़ने देता। जुलाई के आखिर तक बारिश न होने की वजह से यह कीड़ा पैदा होता है। हालांकि गन्ने से निकलने वाली चीनी पर इसका असर नहीं पड़ेगा, लेकिन गन्ने का कद इससे कम हो जाएगा और इसका दाम भी घट सकता है।
मेरठ के पास मोदीनगर इलाके के 280 गांवों में पिछले साल 21,344 हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की खेती की गई थी, जबकि इस साल यह रकबा और घटकर 5,000 हेक्टेयर तक सिमट गया है।
मोदी नगर इलाके के औरंगाबाद बदाना गांव के गन्ना किसान हरेंद्र नेहरा कहते हैं, 'पिछले साल मैंने 6 एकड़ में गन्ने की खेती की थी लेकिन इस साल सिर्फ 5 एकड़ में गन्ने की रोपाई की। कीड़े लगने से उत्पादन और कम हो जाएगा।'
मोदी नगर इलाके में 40,000 गन्ना सप्लायर हैं और पिछले साल इलाके की चीनी मिलों में 45 लाख क्विंटल गन्ने की आपूर्ति की गई थी। किसानों के मुताबिक इस साल किसी भी कीमत पर 35 लाख क्विंटल से ज्यादा गन्ने की आपूर्ति नहीं हो पाएगी।
हालांकि मुरादाबाद के किसान हरताल बिलारी कहते हैं, 'पारिला कीड़े से गन्ने को काफी नुकसान पहुंचा है। और पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में कुल मिलाकर 30 फीसदी तक की गिरावट हो सकती है।' किसानों की शिकायत है कि राज्य में गन्ने के न्यूनतम समर्थन मूल्य का अभी तक ऐलान नहीं किया गया है। (BS Hindi)
20 अगस्त 2009
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