कोच्चि August 19, 2009
भारत के काली मिर्च निर्यात की मुश्किलें जारी हैं और जुलाई में निर्यात गिरकर 1700 टन रह गया है। इसके मुकाबले पिछले साल की समान अवधि में भारत ने 1950 टन काली मिर्च का निर्यात किया था।
अप्रैल-जुलाई की अवधि में कुल निर्यात वर्ष 2008-09 के 9500 टन के मुकाबले घटकर 6700 टन रह गया है। अगर किसी एक महीने में सबसे अधिक निर्यात की बात की जाए तो जुलाई 2007 में 3460 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया था।
सूत्रों के अनुसार दिलचस्प बात यह है कि इस साल जुलाई में आयात बढ़कर 1550 टन के स्तर पर पहुंच गया है। बकौल सूत्र भारत वित्त वर्ष 2009-10 में काली मिर्च का पहली बार शुध्द आयातक हो सकता है।
कीमतों के मौजूदा पैटर्न हो देखते हुए भारत में काली मिर्च का आयात और अधिक बढ़ सकता है क्योंकि इंडोनेशिया और वियतनाम भारत की अपेक्षा कम शुल्क लेते हैं। अगले साल फरवरी में कटाई का काम शुरू हो जाने के बाद इस बात की काफी ज्यादा संभावना है कि भारत वहां से अधिक मात्रा में काली मिर्च का अयात करेगा।
इस समय भारत में काली मिर्च का औसत मासिक निर्यात 1000 टन है। अगस्त में भी जब भारत में उत्पादित काली मिर्च की कीमत विश्व के अन्य उत्पादकों के बराबर है, दूसरे देशों खासकर, यूरोपीय संघ के देशों और अमेरिका में मांग काफी कम है।
इस साल जून में अमेरिका ने 4455 टन काली मिर्च का आयात किया था, जिसमें भारत से निर्यात की गई काली मिर्च की हिस्सेदारी 617 टन थी। चालू वर्ष के जनवरी और जून की अवधि में अमेरिका में 23,033 टन काली मिर्च का आयात किया था जिसमें वियतनाम और इंडोनेशिया की काफी बड़ी हिस्सेदारी थी।
भारत कीमतों के स्तर पर वियतनाम, इंडोनेशिया और ब्राजील से मुकाबले नहीं कर सकत है। हालाकि, स्थानीय स्तर पर कीमतों में काफी गिरावट आई है, लेकिन इसके बावजूद भी भारत में काली मिर्च की कीमतें अन्य उत्पादक देशों के मुकाबले प्रति टन 50 डॉलर अधिक है।
वायदा बाजार में अनिश्चितता की स्थिति से भी निर्यात की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ता है क्योंकि अमेरिका और यूरोपीय देश के आयातक वायदा काउंटरों पर कीमतों में आ रहे उतार-चढाव को शक भरी नजरों से रह रहे हैं। अनिश्चितता की वजह से काली मिर्च उत्पादों की बिक्री पर भी बुरा असर पड़ता है। (BS Hindi)
20 अगस्त 2009
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