नई दिल्ली August 19, 2009
देश के उत्तर पश्चिम क्षेत्र के खाद्यान्न उत्पादक इलाकों में मॉनसून के वापस आने से खड़ी फसलों को फायदे की उम्मीद है।
पूर्वी राज्यों तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में भी अगस्त के तीसरे सप्ताह में मॉनसून लौटने से खुशी है। हालांकि इससे चालू खरीफ सत्र की फसलों में बहुत सुधार होने की उम्मीद नहीं है। खासकर धान का क्षेत्रफल 56 लाख हेक्टेयर और मूंगफली का क्षेत्रफल 10 लाख हेक्टेयर कम हुआ है, जिसका असर निश्चित रूप से रहेगा।
इसके साथ ही गन्ने का क्षेत्रफल भी पिछले साल की तुलना में आंशिक रूप से कम हुआ है। पिछले साल गन्ने की बुआई 43.8 लाख हेक्टेयर में हुई थी, जबकि इस साल 42.5 लाख हेक्टेयर में गन्ने की बुआई हुई है।
लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि चीनी बेल्ट में बारिश की वजह से, खासकर उत्तर और महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में बारिश की फुहारों के चलते उत्पादकता में बढ़ोतरी होगी। साथ ही दक्षिण भारत के कुछ इलाकों में भी आगामी कुछ दिनों की बारिश से उत्पादन में सुधार आएगा।
इस साल की खरीफ की फसल की बुआई की प्रमुख विशेषता यह रही कि किसानों ने उन फसलों की ओर रुख किया, जिनकी अधिक कीमत मिलती है। दालों की कीमतें इस साल ज्यादा हैं, जिसकी वजह से अरहर, उड़द और मूंग की बुआई के क्षेत्रफल में पिछले साल की तुलना में करीब 6 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है।
इसके अलावा कुछ तिलहनों, खासकर मूंगफली के क्षेत्रफल में कमी आई है और कीमतों के असर के चलते ही इन इलाकों में दालों की बुआई हुई है। कमजोर बारिश ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई। सोयाबीन के क्षेत्रफल में मामूली बढ़ोतरी हुई है और यह पिछले साल के 92.7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 93.7 लाख हेक्टेयर हो गया है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि सोया आधारित उद्योगों की मांग बढ़ी है और सोया खली के निर्यात में सुधार हुआ है।
पॉल्ट्री और स्टार्च उद्योग में मांग अधिक होने से मक्के और ज्वार की खेती में भी बेहतर मुनाफा हुआ है। इसके चलते इन फसलों की बुआई ठीक-ठाक हुई है, जबकि मोटे अनाज की बुआई के क्षेत्रफल में कमी आई है।
बहरहाल जिन बड़े जलाशयों में जुलाई के अंत में पानी पिछले साल की तुलना में ज्यादा हो गया था, अगस्त के पहले 15 दिनों में बारिश की कमी के चलते जल स्तर में कमी आई है। देश के 81 बडे ज़लाशयों में कुल पानी 30 जुलाई को बढ़कर 52.8 अरब घन मीटर (बीसीएम) था, इसमें 13 अगस्त को मामूली बढ़ोतरी हुई और यह 57.14 अरब घन मीटर हुआ, जो पिछले साल की समान तिथि को 67.15 अरब घन मीटर था।
वर्तमान जल स्तर सामान्य जल स्तर 68.84 अरब घन मीटर से काफी कम है। यह वास्तव में चिंता का विषय है क्योंकि सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता और जल विद्युत उत्पादन पर विपरीत असर पड़ेगा। बहरहाल 13 अगस्त के बाद से हो रही बारिश से आने वाले दिनों में जल स्तर बढ़ने की उम्मीद है।
इस बारिश से उत्तर पश्चिम में 12 अगस्त को बारिश की 43 प्रतिशत कमी से 16 अगस्त को 40 प्रतिशत की कमी और उत्तर पूर्व में 36 प्रतिशत से घटकर 32 प्रतिशत की कमी पर पहुंच गया है। लेकिन अभी भी दक्षिणी प्रायद्वीप में पानी की कमी बनी हुई है। साथ ही इस दौरान मध्य भारत में बारिश की कमी 19 प्रतिशत से बढ़कर 21 प्रतिशत हो गई है।
बहरहाल मध्य भारत और तटीय इलाकों में पिछले 2-3 दिनों से बारिश से राहत मिली है और आगामी कुछ दिनों में और बारिश की उम्मीद है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक उत्तरी तमिलनाडु में दबाव बना हुआ है, जिसकी वजह ते तटीय इलाकों में अगले 3-4 दिनों में बारिश हो सकती है।
इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, सिक्किम और बिहार में भी बारिश की संभावना है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने सूरजमुखी की खेती करने वालों को सलाह दी है कि वे सितंबर की शुरुआत में बुआई कर सकते हैं।
12 अगस्त तक फसलों की बुआई (लाख हेक्टेयर में)
फसल चालू साल पिछले सालधान 247.39 304.49ज्वार 27.42 26.39बाजरा 67.30 67.37मक्का 67.55 65.87अरहर 31.65 28.37उड़द 19.54 18.48मूंग 22.31 20.76मूंगफली 36.91 48.19सोयाबीन 93.77 92.78कपास 93.60 82.88गन्ना 42.50 43.79 (BS Hindi)
20 अगस्त 2009
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