20 अगस्त 2009
नई फसल आने से जूट 22प्रतिशत सस्ता पर पिछले साल से महंगा
नई फसल की सप्लाई होने के कारण कच्चे जूट (टीडी-5 किस्म) के दाम इस माह 2700 रुपये से घटकर 2100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में बुधवार को जूट अगस्त वायदा के दाम 0.66 फीसदी घटकर 2037 रुपये प्रति क्विंटल रहे। जूट मिलों की मांग घटने के कारण भी इसकी कीमतों में गिरावट को बल मिला है। वहीं सरकारी आंकडों के अनुसार जूट सीजन 2009-10 में जूट का बुवाई क्षेत्रफल पिछले सीजन के 7.06 लाख हैक्टेयर से घटकर 6.89 रह गया है।इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन के चैयरमेन संजय कजारिया ने बिजनेस भास्कर को बताया कि बीते महीनों में जूट की कीमतों में भारी तेजी आकर भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे लेकिन नई सप्लाई होने से इसकी कीमतों में 22 फीसदी तक की गिरावट आई है। नई सप्लाई के अलावा जूट मिलों की ओर से मांग घटने के कारण भी इसकी कीमतों में कमी आई है। उत्पादक राज्य पश्चिमी बंगाल, बिहार व असम की मंडियों में जूट की नई सप्लाई जुलाई के अंत में आ गई थी। यह सप्लाई सितंबर तक जारी रहने की संभावना है। इन दिनों जूट के दाम पिछले साल के मुकाबले 650 रुपये प्रति क्विंटल अधिक हैं। जूट के भाव ऊंचे होने के बावजूद जूट मिलों का मानना है कि जूट बोरियों पर सरकार के नए प्रस्ताव से जूट की मांग इस साल कमजोर हो सकती है। कजारिया का कहना है कि जूट पैकेजिंग मैटीरियल एक्ट (जेपीएमए) 1987 के अनुसार अनाज की सरकारी खरीद की जूट की बोरियों में ही पैकेजिंग होती है। लेकिन केंद्रीय स्टेंडिंग एडवायजरी कमेटी द्वारा सीजन 2009-10 के लिए 25 फीसदी प्लास्टिक की बोरियों का उपयोग करने के प्रस्ताव से जूट इंडस्ट्री को नुकसान होगा। उनके अनुसार इस वजह से जूट मिलों की ओर से इसकी मांग कम निकल रही है। दरअसल सरकार जूट उत्पादन कम रहने की वजह से यह बदलाव कर रही है। लेकिन जूट इंडस्ट्री का दावा है कि इंडस्ट्री खरीफ विपणन सीजन में अनाजों की सरकारी खरीद के लिए जरूरी 14 लाख गांठ बोरियों की आपूर्ति करने सक्षम है। सीजन 2009-10 में सरकारी अनुमान के मुताबिक 90 लाख गांठ (180 किलोग्राम) जूट की पैदावार होने की संभावना है। पिछले सीजन में यह आंकडा़ 96.34 लाख गांठ का था। उत्पादन में गिरावट की वजह मानसून में देरी और बारिश कम होने को माना जा रहा है।सरकार जूट के उत्पादन में आ रही कमी के मद्देनजर सरकार ने जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है। सीजन 2009-10 के लिए सरकार ने एमएसपी को दस फीसदी बढ़ाकर 1,375 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था। इस वजह से जूट के दाम पिछले साल के मुकाबले काफी बढ़ गए थे। नई फसल के पहले जुलाई में जूट के दाम दोगुने बढ़कर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे। अधिक एमएसपी के अलावा सट्टेबाजी और उत्पादन घटने के कारण भी इसकी कीमतों में तेजी को बल मिला। नई फसल के बाद इसके मूल्यों में कमी आई है। (Business Bhaskar)
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