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20 अगस्त 2009

1 करोड़ टन घट सकती है चावल की पैदावार

नई दिल्ली: खाद्य एवं कृषि मंत्री शरद पवार ने बुधवार को कहा कि देश का तकरीबन आधा हिस्सा सूखे की चपेट में आ चुका है और इससे चावल की पैदावार में 10 फीसदी से ज्यादा कमी आ सकती है। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद सरकार कीमतों पर अंकुश लगाने का हरसंभव प्रयास करेगी और राशन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए अपने भंडारों का इस्तेमाल करेगी। सूखे और महंगाई की स्थिति पर चर्चा के लिए आयोजित राज्यों के खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन में पवार ने कहा कि अगर कीमतें चढ़ती हैं तो केन्द्र सरकार अपने भंडारों से खुले बाजार में गेहूं और चावल जारी करेगी। सरकार राशन की दुकानों के जरिए चीनी की आपूर्ति बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
पवार ने संवाददाताओं से कहा, '10 राज्यों ने 246 जिलों को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया है। यह देश के कुल जिलों का 46-47 फीसदी हिस्सा है।' पवार ने कहा, 'मॉनसून की बारिश में कमी के चलते धान के बुआई रकबे में पिछले साल के मुकाबले 57 लाख हेक्टेयर की कमी आ सकती है। इससे चावल के उत्पादन में 1 करोड़ टन तक की कमी आ सकती है।' वित्त वर्ष 2008-09 के दौरान देश में 9.915 करोड़ टन चावल का उत्पादन हुआ था। इसमें पिछली खरीफ सीजन के दौरान 8.458 करोड़ टन का उत्पादन भी शामिल है। पवार ने कहा कि इस साल खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन में कमी आने से खाद्यान्नों की कीमतों में तेज उछाल आ सकती है। पवार ने कहा, 'जरूरत पड़ी तो सरकार खुले बाजार में दखल देने से हिचकेगी नहीं। वह खुले बाजार में बिक्री की योजना के जरिया गेहूं और चावल भी जारी कर सकती है।' इसका मतलब यह है कि सरकार आपात स्थिति से निपटने के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त रिजर्व रखने और पीडीएस को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त खरीदारी कर सकती है। केंद्रीय खाद्य एवं कृषि मंत्री ने राज्यों से कहा कि वे पीडीएस के लिए चावल मिलों से कम-से-कम आधा हिस्सा जरूर लें। उन्होंने मॉनसून की कमजोर बारिश के चलते तिलहन और गन्ने की उपज में भी कमी आने की आशंका व्यक्त की। इस बार मॉनसून की बारिश 29 फीसदी कम रही है। पवार ने कहा कि पीडीएस के तहत जरूरतमंदों को ज्यादा खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए चावल की अधिक से अधिक खरीदारी की जानी चाहिए। राज्य सरकारों को पीडीएस के लिए चावल मिलों पर कम-से-कम 50 फीसदी की लेवी जरूर करने के लिए कहा है। इसके लिए पवार ने केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी का हवाला दिया जिन्होंने 2008-09 के दौरान निजी क्षेत्र की मिलों से चावल की लेवी नहीं की थी। उन्होंने इसके साथ ही कृषि मंत्रियों से केंद्रीय एजेंसियों की खरीदारी पर लागू कर की समीक्षा करने के लिए भी कहा। (ET Hindi)

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