मुंबई: वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) का कहना है कि अगर सोने के दाम 14,800 रुपए के मौजूदा स्तर से गिरकर 14,000 रुपए प्रति 10 ग्राम तक पहुंचते हैं, तो सुनहरी धातु की मांग बढ़ सकती है। बुधवार को आंकड़ों में काउंसिल ने कहा कि ऊंचे दाम और वैश्विक मंदी के दबाव की वजह से भारत में सोने की मांग 2009 की दूसरी छमाही में 38 फीसदी लुढ़ककर 109 टन पर आ गई। लेकिन 2009 की दूसरी तिमाही में मांग ने जोरदार वापसी की, क्योंकि पहली तिमाही में यह 17.7 टन पर दम तोड़ती दिख रही थी। डब्ल्यूजीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा, '14,000 रुपए प्रति 10 ग्राम के स्तर से कीमतों में जरा सी भी गिरावट ग्राहकों को बाजार में लौटने के लिए प्रोत्साहित करेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों के कम होने पर सोने की मांग बढ़ सकती है। मांग में सबसे बड़ा हिस्सा ज्वैलरी सेगमेंट का है। जेवरात की मांग पिछले साल की तुलना में दूसरी तिमाही में 31 फीसदी लुढ़ककर 88 टन पर आ गई है। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक दूसरी तिमाही में कीमतें, पहली तिमाही (फरवरी 2009 में 16,040 रुपए) के रिकॉर्ड भाव से कम रहीं, लेकिन ऐतिहासिक आधार पर यह ज्यादा है और इसका दायरा 14,000-15,000 रुपए के बीच रहा, जिससे निवेशक खरीदारी के लिए प्रोत्साहित नहीं हुए। जून में औसत से कम बारिश होने से सोने की मांग की स्थिति और बिगड़ गई, क्योंकि ग्रामीण आबादी अपनी कृषि संबंधी आमदनी के लिए काफी हद तक अच्छे मानसून पर निर्भर करती है। डब्ल्यूजीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आरम शीषमनियान ने उम्मीद जताई कि उपभोक्ता, खास तौर से भारत में ज्वैलरी में दोबारा खरीदारी करने के अवसरों पर गौर करेंगे, जो बीती कुछ तिमाहियों के दौरान रिसाइकिल की गई है। सोने के लिए मांग में वापसी के संकेत देखने को मिल रहे हैं और डब्ल्यूजीसी के मुताबिक आगामी दिवाली का त्योहार और शादियों के सीजन की वजह से बिक्री में सुधार आ सकता है। 2009 की दूसरी तिमाही में बार और सिक्कों की मांग 56 फीसदी गिरी थी। काउंसिल ने कहा कि सोने की मांग सकारात्मक दायरे में आ गई है, हालांकि पिछले साल की तुलना में यह कमजोर दिख रही है। ET Hindi
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