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20 अगस्त 2009

फूड, फार्मा कंपनियों को खुद आयात करनी पड़ सकती है चीनी

नई दिल्ली: देश की शीर्ष फूड, बेवरेज और फार्मा कंपनियों को चीनी आयात के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। सरकार किराना दुकानों पर चीनी की कमी से निपटने और आसमान पर पहुंचे दामों को नीचे लाने के लिए औद्योगिक उपभोग के लिए सीमा तय करने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सरकार का मानना है कि मिलें हर महीने चीनी का जो कोटा जारी करती हैं, उसका बड़ा हिस्सा कंपनियां इस्तेमाल करती हैं। ऐसे में उन्हें उनके कारखानों की 15 दिन की जरूरत से ज्यादा चीनी भंडार की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इससे फिलहाल फैक्टरी के गोदामों में पड़ी बड़ी मात्रा में चीनी बाजार में लाई जा सकेगी और इससे आम लोगों को कीमतों के मोर्चे पर राहत मिलेगी। हालांकि, खाद्य एवं फार्मा कंपनियां सीधे चीनी आयात कराकर इस भंडार सीमा से बच सकती हैं, क्योंकि आयात करने वाली इकाइयों पर भंडार से जुड़ी कोई बंदिश नहीं लगाई जाती।
इसलिए ब्रिटानिया, कैडबरी, नेस्ले, कोका कोला, पेप्सिको, परफेटी, आईटीसी और दूसरी कंपनियां स्थानीय मिलों से चीनी खरीदने की बजाय ब्राजील और थाईलैंड से इसका आयात करने के विकल्प खंगाल रही हैं। चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित करना फूड कंपनियों के लिए सिर मुंडाते ओले पड़ने की स्थिति पैदा करने जैसा है, क्योंकि यह कवायद उन्हें ऐसे वक्त करनी पड़ रही है, जब दूसरे कच्चे माल भी महंगे हो रहे हैं। कम बारिश ने सीधे फसल पर चोट की है और अनाज, खाद्य तेल, दूध और मसालों के दाम बढ़ गए हैं। जानकारों का कहना है कि फूड कंपनियों को इन हालात से निपटने के लिए कीमत तय करने की अपनी रणनीति पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है। ज्यादातर खाद्य प्रसंस्करण कंपनियां अब चीनी मिलों के साथ लंबी अवधि के आपूर्ति संबंधी अनुबंध नहीं कर रहीं, क्योंकि अभूतपूर्व उथल-पुथल ने तय कीमत वाले सभी अनुबंधों को बेमानी कर दिया है। बीते एक साल के दौरान स्थानीय चीनी की कीमतें 15 रुपए से बढ़कर 32 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है। दक्षिण भारत के ब्रेड निर्माता भी चीनी की बढ़ी कीमत से आजिज आ चुके हैं, क्योंकि उनकी ब्रेड में 15 फीसदी चीनी होती है। इसलिए अब उन पर गेहूं और चीनी, दोनों के दाम बढ़ने से मार पड़ रही है। एक बेवरेज कंपनी के अधिकारी ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'अब तक हम चीनी का आयात नहीं कर रहे थे। लेकिन इस सीजन में वॉल्यूम ग्रोथ 30-35 फीसदी का आंकड़ा छू रही है, ऐसे में हम चीनी आयात करने पर विचार कर रहे हैं।' कोका कोला और पेप्सिको जैसी कंपनियां अब तक कीमत बढ़ाने से बच रही हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि ऐसा करने से बिक्री घटेगी और तेज ग्रोथ पर भी ब्रेक लग जाएगी। (ET Hindi)

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